Uniform Civil Code: खत्‍म हुआ इंतजार…आज लागू होगी समान नागरिक संहिता, स्वतंत्र भारत का पहला राज्य बनेगा उत्तराखंड

UCC में सैनिकों के लिए 'प्रिविलेज्ड वसीयत' का प्रावधान भी किया गया है, जिसके तहत वे अपनी सेवा के दौरान या जोखिम वाले स्थानों पर तैनाती के..

Uniform Civil Code: उत्तराखंड में आज से एक ऐतिहासिक कदम उठाया जाएगा, जब राज्य में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू हो जाएगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को इस बारे में जानकारी दी और कहा कि यह भारत का पहला राज्य होगा, जहां UCC प्रभावी होगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली गई हैं, जिसमें अधिनियम की नियमावली की मंजूरी और संबंधित अधिकारियों का प्रशिक्षण शामिल है।

विशेषज्ञ समिति का गठन

धामी ने कहा, “UCC से समाज में एकरूपता आएगी और यह सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार और दायित्व सुनिश्चित करेगा। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश को एक विकसित, संगठित, समरस और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने के प्रयासों में उत्तराखंड का योगदान है।” उत्तराखंड में UCC को लागू करने का वादा 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने किया था। मार्च 2023 में सत्ता में लौटने के बाद, मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में मंत्रिमंडल ने UCC के प्रस्ताव को मंजूरी दी और विशेषज्ञ समिति का गठन किया, जिसने मसौदा तैयार किया।

राज्य विधानसभा में UCC विधेयक पारित

विशेषज्ञ समिति का गठन मई 2022 में किया गया था, जिसकी अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई ने की। समिति ने डेढ़ वर्ष के अध्ययन के बाद, विभिन्न वर्गों से बातचीत कर UCC का विस्तृत मसौदा तैयार किया और 2 फरवरी 2024 को इसे राज्य सरकार को सौंपा। इसके बाद, 7 फरवरी 2024 को राज्य विधानसभा में UCC विधेयक पारित हुआ और एक महीने बाद, 12 मार्च 2024 को राष्ट्रपति ने इसे मंजूरी दी।

मॉडल के रूप में अपनाने की इच्छा

UCC के लागू होने के बाद, उत्तराखंड पहला राज्य बन जाएगा जो इस कानून को प्रभावी करेगा। असम सहित कई अन्य राज्य उत्तराखंड के UCC अधिनियम को मॉडल के रूप में अपनाने की इच्छा जता चुके हैं। UCC के तहत विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, सहवासी संबंधों और इनसे संबंधित अन्य मामलों को नियंत्रित किया जाएगा। इस कानून में सभी धर्मों के लिए समान विवाह योग्य आयु, तलाक के आधार और प्रक्रियाएं निर्धारित की गई हैं। इसके अलावा, बहुविवाह और ‘हलाला’ पर प्रतिबंध लगाया गया है।

UCC का मसौदा तैयार करने वाली समिति की सदस्य और दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल ने कहा, “UCC का उद्देश्य विवाह, तलाक और उत्तराधिकार के मामलों में लैंगिक समानता लाना है। इसके अंतर्गत सभी विवाहों और सहवासी संबंधों का पंजीकरण अनिवार्य किया गया है।”

जोखिम वाले स्थानों पर तैनाती

उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने लोगों को अपनी शादियों का ऑनलाइन पंजीकरण करने की सुविधा प्रदान की है, ताकि उन्हें सरकारी दफ्तरों के चक्कर न काटने पड़ें। इसके अतिरिक्त, UCC में सैनिकों के लिए ‘प्रिविलेज्ड वसीयत’ का प्रावधान भी किया गया है, जिसके तहत वे अपनी सेवा के दौरान या जोखिम वाले स्थानों पर तैनाती के दौरान अपनी वसीयत तैयार कर सकते हैं। UCC की विशेषताएं राज्य में समानता और न्याय को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं, और यह पूरे देश के लिए एक मॉडल बन सकता है।

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