Union Budget 2023-24 : दिलचस्प रहा है केंद्रीय बजट का इतिहास, जानिए, बजट पेश करने के रिवाज में कब क्या बदला?

ब्रिटिश परंपरा के मुताबिक, वित्त मंत्री बजट दस्तावेज को भूरे या लाल बैग में रखकर संसद में बजट पेश करने पहुंचते थे. साल 2019 में निर्मला सीतारमण के कार्यभार संभालने तक ये सिलसिला चलता रहा. साल 2020 में कोरोना के प्रकोप के बाद साल 2021 में बजट में एक और महत्वपूर्ण बदलाव हुआ और यह पूरी तरह से पेपरलेस हो गया.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी यानी आज संसद में बजट पेश करेंगी. साल 2024 के आम चुनाव से पहले यह मोदी सरकार का आखिरी बजट होगा. आम आदमी की आर्थिक सुरक्षा और उसकी उम्मीदें बजट को लेकर जितनी दिलचस्प होती हैं, उतनी ही दिलचस्प बजट का इतिहास रहा है. आजादी के बाद से आज तक बजट पेश करने के प्रारूप और उसके समय में कई बार बदलाव हुए हैं.

ब्रिटिश परंपरा के मुताबिक, वित्त मंत्री बजट दस्तावेज को भूरे या लाल बैग में रखकर संसद में बजट पेश करने पहुंचते थे. साल 2019 में निर्मला सीतारमण के कार्यभार संभालने तक ये सिलसिला चलता रहा. साल 2020 में कोरोना के प्रकोप के बाद साल 2021 में बजट में एक और महत्वपूर्ण बदलाव हुआ और यह पूरी तरह से पेपरलेस हो गया.

आपको बता दें कि साल 1999 तक केंद्रीय बजट पेश करने का समय और दिन सुनिश्चित था. ब्रिटिश काल की प्रथा के मुताबिक केंद्रीय बजट फरवरी के अंतिम दिन शाम पांच बजे के आस-पास पेश किया जाता था. साल 1999 में वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने बजट पेश करने का समय बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया. वहीं, साल 2017 में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश करने की तारीख को बदलकर 1 फरवरी कर दिया था.

सबसे पहले साल 1924 में ब्रिटिशर्स ने केंद्रीय बजट के अलावा रेल बजट की प्रथा शुरू की थी. तब से लेकर साल 2016 तक रेल बजट और केंद्रीय बजट अलग-अलग पेश किए जाते थे. वहीं साल 2017 में मोदी सरकार में वित्त मंत्री रहे दिवंगत अरुण जेटली ने रेल बजट को केंद्रीय बजट में मर्ज करने पर चर्चा की थी. इसके बाद बजटों के विलय की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया. इसके बाद 2017 में ही अरुण जेटली ने पहला संयुक्त केंद्रीय बजट पेश किया था.

साल 1955 तक केंद्रीय बजट केवल अंग्रेजी में पेश किया जाता था. इसके बाद केंद्र सरकार ने बजट के कागजात हिंदी और अंग्रेजी दोनों में छापने का फैसला किया. साल 1980 में केंद्र सरकार ने नॉर्थ ब्लॉक में प्रिंटिंग प्रेस लगाने का फैसला किया और तब से यहां बजट छपता है. बजट छपाई से पहले हलवा रस्म का आयोजन किया जाता है. इस समारोह के बाद ही बजट छपाई की प्रक्रिया शुरू होती है.

साल 1950 तक बजट राष्ट्रपति भवन में छपता था. इस साल बजट लीक होने के बाद छपाई की जगह बदल दी गई. फिर बजट की छपाई की प्रक्रिया मिंटो रोड, नई दिल्ली में शुरू हुई. भारतीय प्रशासन को 7 अप्रैल, 1858 को ईस्ट-इंडिया कंपनी से ब्रिटिश क्राउन में स्थानांतरित कर दिया गया था. दो साल बाद यानी 7 अप्रैल, 1860 को पहली बार बजट पेश किया गया था. बजट पेश करने वाले पहले वित्त मंत्री जेम्स विल्सन थे.

इसके बाद अंतरिम सरकार के सदस्य लियाकत अली खान ने 1947-48 का बजट पेश किया. देश की आजादी के बाद भारत के पहले वित्त मंत्री शनमुखम चेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को आजाद भारत का पहला बजट पेश किया था.

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