UP: बनारस में मनाया गया “बाटी चोखा दिवस”, स्वाद बरकरार रखने के लिए बनाया गया टाइम कैप्सूल

बाटी चोखा का नाम सुनकर भले ही बिहार और पूर्वांचल की याद आपको आती हो, लेकिन बीते कुछ सालों में बाटी चोखा ने भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पसंद किए जाने वाले व्यंजन के रूप में अपनी पहचान बनाई है। बाटी चोखा को विश्व पटल पर अलग पहचान बनाने को लेकर रविवार को काशी में अनोखी पहल की गई।

वाराणसी। बाटी चोखा का नाम सुनकर भले ही बिहार और पूर्वांचल की याद आपको आती हो, लेकिन बीते कुछ सालों में बाटी चोखा ने भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पसंद किए जाने वाले व्यंजन के रूप में अपनी पहचान बनाई है। बाटी चोखा को विश्व पटल पर अलग पहचान बनाने को लेकर रविवार को काशी में अनोखी पहल की गई। खान पान के इस अनूठे स्वाद को देश में विख्यात करने के लिए काशी में “बाटी चोखा दिवस” का आयोजन किया गया। इसकी शुरुआत वाराणसी के तेलिया बाग स्थित बाटी चोखा रेस्टोरेंट से किया गया है। बाटी चोखा के स्वाद को वाराणसी आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के माध्यम से देशभर के फैलाने वाले इस रेस्टोरेंट के अनूठे पहल को काशी के लोगो ने काफी सराहा है।

हर वर्ष 25 फरवरी को मनाया जाएगा बाटी -चोखा दिवस

देश में कभी गरीबों का भोजन के रूप में देखे जाने वाला बाटी चोखा आज देश – विदेश में रहने वाले लोगो के रसोई के साथ पांच सितारा होटलों का प्रमुख भोजन बन गया है। पौष्टिक आहार से परिपूर्ण और स्वाद ऐसा जिसे खाने के बाद लोग इसे कभी भूल नही पाते। ऐसे बाटी चोखा को मौजदा समय में जन जन तक पहुंचाने के लिए “बाटी चोखा दिवस” की शुरुआत 25 फरवरी को किया गया है।

इस दिवस का आयोजन करने वाले विक्रांत दुबे ने बताया कि बाटी चोखा एक ऐसा भोजन है, जो लोगो को पौष्टिक आहार देता है और उन्हें स्वास्थ्य रखता है। यही वजह है कि मौजूदा समय में लोगो की पसंद मन चुके बाटी चोखा को विश्व पटल पर पहचान दिलाने के लिए प्रत्येक वर्ष 25 फरवरी को बाटी चोखा दिवस के रूप में मनाया जाएगा। गौरतलब है, कि देश में किसी एक व्यंजन को लेकर उसके नाम का दिवस मनाने का यह पहला प्रयास है जिसे बड़ी मान्यता मिल रही है ।

बाटी -चोखा के स्वाद को बरकरार रखने के लिए बनाया गया टाइम कैप्सूल

बाटी – चोखा के स्वाद को पुराने समय के अनुसार बरकरार रखने के लिए “बाटी चोखा दिवस” पर नई पहल भी किया गया है। हजारों साल तक बाटी चोखा का स्वाद बरकरार रहे इसके लिए एक टाइम कैप्सूल को भी जमीन के अंदर उसके गोद में सहेज कर रखा जा रहा है। बताया जा रहा है, कि इस टाइम कैप्सूल में बाटी चोखा बनाने के लिए जितने भी सामान लगते हैं, चाहे वह चने का सत्तू हो मिर्ची का अचार हो, सरसों का तेल हो, अजवाइन हो मंगरैल हो ,आटा हो ऐसे सभी चीजों को उसके अंदर हजार साल तक सुरक्षित रहे। सभी सामग्रियों को ऐसी विधि के साथ-सहेज कर रखा जा रहा है, इसमें बाटी चोखा रेस्टोरेंट में आए हुए लोगों के कमेंट भी लिखावट के रूप में सहेज कर डाली जाएगी।

रिपोर्ट : नीरज कुमार जायसवाल, वाराणसी

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