
प्रयागराज : उत्तर प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों के विलय (मर्जर) को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। यह याचिका पीलीभीत जिले के ब्लॉक बिलसंडा स्थित ग्राम चांदपुर निवासी सुभाष, यशपाल यादव और अत्येंद्र कुमार की ओर से दाखिल की गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस फैसले से ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूली शिक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। दो से तीन दिनों के भीतर इस याचिका पर सुनवाई होने की संभावना है।
स्कूल पेयरिंग नीति को दी चुनौती
याचिकाकर्ताओं ने यूपी सरकार की स्कूल पेयरिंग नीति को चुनौती दी है। याचिका में राज्य सरकार, महानिदेशक स्कूल शिक्षा, शिक्षा निदेशक (बेसिक), प्रयागराज स्थित बेसिक शिक्षा बोर्ड, क्षेत्रीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक), पीलीभीत के जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, बेसिक शिक्षा अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारी बिलसंडा को प्रतिवादी बनाया गया है।
बेसिक विभाग के 16 जून के आदेश पर आपत्ति
याचिका में 16 जून 2025 को जारी बेसिक शिक्षा विभाग के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसके तहत कम छात्र संख्या वाले प्राथमिक स्कूलों को आसपास के उच्च प्राथमिक या कंपोजिट विद्यालयों में मर्ज करने की बात कही गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह आदेश बच्चों के शिक्षा के अधिकार (RTE) का उल्लंघन करता है और ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की पहुंच को सीमित कर सकता है।
पहले भी हुई सुनवाई
इससे पहले 3 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में भी इसी विषय पर दायर एक अन्य याचिका पर सुनवाई हो चुकी है। इस मामले में भी जल्द कोई बड़ा फैसला आने की संभावना है।
5000 स्कूलों के मर्जर का फैसला
सरकार ने प्रदेश के ऐसे 5000 प्राथमिक स्कूलों को मर्ज करने का निर्णय लिया है, जिनमें छात्रों की संख्या बहुत कम है। विभाग के अनुसार, राज्य में 58 स्कूल ऐसे हैं जहां एक भी छात्र नामांकित नहीं है। सरकार का कहना है कि स्कूल बंद करने की मंशा नहीं है बल्कि प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है। हालांकि इस निर्णय का विभिन्न जिलों में विरोध देखने को मिल रहा है।
ग्रामीण शिक्षा पर खतरे की आशंका
ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों और शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि स्कूलों का इस तरह मर्ज होना बच्चों को दूरस्थ विद्यालयों तक जाने के लिए मजबूर करेगा, जिससे ड्रॉपआउट रेट बढ़ सकता है और शिक्षा की गुणवत्ता पर भी असर पड़ेगा।









