बागपत : आपने फिल्म स्पेशल-26 तो जरूर देखी होगी, आज उसी फिल्म की रील कहानी रियल लाइफ में भी सामने आई है। यूपी के बागपत पुलिस ने एक ऐसे फर्जी सीआईडी अफसरों के गिरोह के सदस्यों को पकड़ा है जो दिल्ली एनसीआर में मेडिकल स्टोर संचालकों से करोड़ों रूपये ठग चुके हैं। कई गाड़ियों का काफिला, वौकी टाॅकी से लैस टीम लेकर जब ये पूरा गैंग दो फर्जी महिला अफसरों के साथ फील्ड में निकलता था तो ये किसी को यकीन ही नहीं होता था कि ये फर्जी सीआईडी ऑफिसर हैं। लेकिन एक मामला ऐसा हुआ कि दूसरों को फंसाने वाले ये गैंग खुद फंस गया।
बागपत की खेकड़ा पुलिस की गिरफ्त में खड़ें ये वो फर्जी सीआइडी ऑफिसर हैं। जिन्होंने दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, बागपत सहित न जाने कितने जिलों में मेडिकल स्टोर संचालकों से करोड़ों रूपये ठगे। इनकी ठगी का आइडिया भी ऐसा बिल्कुल फिल्मी, दो लग्जरी गाड़ियों का काफिला, दो महिला अफसर और साथ में सिक्योरिटी लेकर जब ये पूरा गैंग अपने कारनामों को अंजाम देने निकलता था। तो हर कोई इनके फंदे में फंस जाता था।
बता दें की ये गिरोह वाॅकी टाॅकी से लैस, आईकार्ड साथ और इंग्लिश के कुछ शब्दों को बोलकर मेडिकल स्टोर संचालक को अपने जाल में फंसा लेते थे। न किसी की पुलिस के पास जाने की हिम्मत और न कहीं शिकायत करने की। लेकिन ये पूरा गिरोह खेकड़ा थाना पुलिस के शिकंजे में झटके से फंस गया। हुआ ये कि इस गिरोह ने बागपत के खेकड़ा थाना इलाके के पूजा मेडिकल स्टोर के संचालक दीपक शर्मा के स्टोर पर छापा मारा और डरा धमाककर पांच लाख की डिमांड की।
घटते-घटते एक लाख में सौदा पट गया। कुछ रकम दे दी भी गई और जब बाकी रकम देने की बात आई तो पुलिस के बिछाए जाल में पांचों फंस गए। पुलिस ने फर्जी सीआईडी अफसर बनने वाली श्वेता शर्मा, कविता दांग, बाउंसर और सिक्योरिटी ऑफिसर की भूमिका निभाने वाले यामीन और एक चालक अंकुश और बाबू की भूमिका में रहने वाले अनिल को धर दबोचा। पूछताछ में पता चला कि सिक्योरिटी अफसर को 2 हजार रूपये हर रोज मेहनताना मिलता था, पुलिस अब इस गैंग के बाकी सदस्यों और कहां-कहां लोगों का फर्जी सीआईडी ऑफिसर बनकर ठगा उसका पता लगा रही है।
इस गैंग के गुनाहों की फेहरिस्ट इतनी लंबी की है पूरी पूछताछ करने में पुलिस को भी पसीने छूट रहें हैं। लेकिन जिस अंदाज में फर्जी सीआईडी ऑफिसर बनकर ये लोग मेडिकल स्टोर संचालकों को ठगते रहे, उसने एक बात तो साफ कर दी है कि खामियां कुछ तो हैं जो सब खामोश रहे। अब देखना ये होगा कि जिन मेडिकल स्टोर संचालकों से ठगी हुई, क्या वो ये शिकायत लेकर पुलिस के सामने आएंगे या फिर नहीं।