UP Election 2022: दूसरे चरण में 9 जिलों की 55 सीटों पर किसका लहराएगा परचम, हर जानकारी के लिए पढ़े पूरी खबर…

यूपी विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के साथ ही यूपी में 7 चरणों में होने वाले चुनाव का श्री गणेश हो गया है। वही, शुक्रवार को पहले चरण में पश्चिम यूपी के 11 जिलों की 58 विधानसभा पर मतदान हुए। पहले चरण में मतदाताओं ने उत्साह के साथ वोटिंग की और ‘फर्स्ट डिविजन’ से पास हुई। अब यूपी मे दूसरे चरण की 55 सीटों के चुनाव पर सबकी नजर है जो कि 9 जिलों में होने वाले हैं। इसके लिए मतदान 14 फरवरी, सोमवार को होना है। इस फेज के लिये भी राजनीतिक दल अपनी एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल की जा सके।

यूपी में दूसरे चरण में होने वाले चुनाव में मुस्लिम मतदाताओ का अहम किरदार होगा। 55 विधानसभा सीटों में बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच सीधा मुकाबला है। क्योंकि बीजेपी को अपनी पिछली जीत को दोहराने के लिए मुस्लिम मतदाताओं को इस तरह से देखना होगा ताकि उसका फायदा समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के गठबंधन को ना मिल सके। इस फेज में सपा और रालोद के गठबंधन की भी कडी परीक्षा है क्योंकि इन 55 सीटों पर आने वाले नतीजे उनके गठबंधन और सरकार बनाने के मंसूबों पर भी बडा असर डालेंगे।

यूपी 2022 विधानसभा चुनाव में दुसरे चरण में 9 सीटों पर मुकाबला है। जिसमें मुरादाबाद, रामपुर, सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा, संभल, बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर जिलों में मतदान होने है। इन जिलों मुस्लिम मतदाताओं का सबसे अहम रोल रहने वाला है। माना ये जा रहा है कि बीजेपी की दूसरे फेस की वोटिंग में रणनीति, मुस्लिम मतदाताओं को तितर-बितर करने की रहने वाली है, जिससे कि वह एकजुट होकर किसी पार्टी के पक्ष में मतदान ना कर सके। बीजेपी अगर ऐसा करने में कामयाब रहती है तो वह न सिर्फ साल 2017 की अपनी जीत को दोहराने में कामयाब होगी बल्कि समाजवादी और आरएलडी के गठबंधन को भी खासा नुकसान पहुंचा पाएगी।

अगर इन जिलों में बीजेपी मुस्लिम वोट को बाटने में कामयाब नही हो पाती है। तो इन 9 जिलों की करीब 30 सीटें ऐसी हैं जिन पर सीधे-सीधे बीजेपी को नुकसान हो सकता है। इसके अलावा जरूरत इस बात की भी है कि यह मुस्लिम वोट कांग्रेस और दूसरी पार्टियों में भी बंट जाए जिससे बीजेपी अपने जीत के अंतर को बढ़ा सकें।

लेकिन बीजेपी ने इन जिलों में भी किसी मुस्लिम कैंडिडेट को अपना उम्मीदवार घोषित नही किया है। अगर हम पिछले चुनाव की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी ने इन 9 जिलों की 55 सीटों में से 38 सीटें जीती थी। जबकि समाजवादी पार्टी के खाते में 15 सीटें और कांग्रेस को 2 सीटें ही मिली थी। बहुजन समाजवादी पार्टी इन जिलों में अपना खाता भी नहीं खोल सकी थी। अब चुनौती भारतीय जनता पार्टी के सामने यह है कि इन सीटों पर अपनी जीत को कायम रखें और पुराने इतिहास को दोहराए। खास बात ये भी है कि इस बार असदुद्दीन ओवैसी के चुनाव के मैदान में बड़े पैमाने पर उतरने के बाद सियासी समीकरण बदले हैं। दूसरे फेज की कुछ सीटों पर ओवैसी की एआईएमआईएम पार्टी भी अच्छा असर डाल सकती है।

इन जिलों में भारी संख्या में मुस्लिम उम्मीदवार होने के लगभग हार जीत का फैसला मुस्लिम मतदाता ही करेंगे। इस लिहाज से बीजेपी नें शायद पहले से अपनी रणनीति तय कर ली है और नतीजों को लेकर आश्वस्त हैं क्योंकि ना सिर्फ उन्होंने इन 55 सीटों पर मुस्लिम कैंडिडेट को टिकट देने से गुरेज किया है, बल्कि अपनी तरफ से मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने के लिए भी कोई विशेष प्रयास नहीं किया है।

भाजपा का कहना है कि वो चुनाव हिंदु- मुस्लिम के आधार पर नही बल्कि विकास के मुद्दे पर लड़ रहे है। तो जनता जो फैसला करेगी उसे वह मानेंगे। दूसरी तरफ प्रतिद्वंदी समाजवादी पार्टी, बसपा और कांग्रेस ने अपना पूरा जोर इन इलाकों में मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने के लिए लगाया है ताकि वह ज्यादा से ज्यादा सीटें जीत सके। इस लिहाज से समाजवादी पार्टी के पाले में आजम खान और अब्दुल्ला आजम की सीट भी बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि आजम खान जेल में हैं और अब्दुल्लाह आजम भी जेल से जमानत पर हैं। ऐसे में दोनों को टिकट देकर के समाजवादी पार्टी ने संदेश देने की कोशिश की है कि उनकी पार्टी मुस्लिमों के साथ है।

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