
लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार भले ही भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टोलेरेंस पॉलिसी का दम क्यों ना भरती हो लेकिन शासन के नाक के नीचे ही विभागीय अफसर सरकार के सभी दावों का पलीता लगाते नजर आ रहे हैं। पशुधन विभाग में करोड़ों के घोटाले का मामला उजागर हुआ है। विभाग के मंत्री धर्मपाल सिंह ने घोटाले की जांच अपर मुख्य सचिव को सौंपी है। आरोप है कि खरीदी गई दवाओं के लिए दोगुना कीमत चुकाई गई। यूपी सरकार ने पशुपालन विभाग में 50 करोड़ के घपले की जांच के आदेश दिए हैं। पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने 3 दिन में जांच रिपोर्ट तलब की है।
दरअसल, यूपी में पिछली सरकार के कार्यकाल में पशुपालन विभाग के अफसरों ने पशुओं की दवा खरीदने में बड़ा खेल किया। पशुओं के लिए घटिया दवा खरीदी गई और उपकरण भी मनमानी दर पर खरीदे गए। शिकायत मिलने पर पाया मामले में जांच की गई और दवाओं की गुणवत्ता बिल्कुल खराब थी। इसी क्रम में राजकीय विश्लेषक की जांच रिपोर्ट सामने आई जिसमें बड़ा खुलासा हुआ।
रिपोर्ट में जानकारी दी गई थी कि पशुधन विभाग के लिए आवंटित कुल बजट 65 करोड़ रुपये का था जिसमें से 50 करोड़ रुपये मात्र 4 महीने में ही खर्च हो गए. इन रुपयों से जो दवाइयां खरीदी गई थी, उसकी गुणवत्ता बेहद घटिया थी। राजकीय विश्लेषक रिपोर्ट की जांच सामने आने के बाद अब दवाओं के उपयोग पर रोक और वापसी के फरमान जारी किए गए हैं।
वहीं इस मामले में विभाग के निदेशक ने गड़बड़ी मानते हुए कहा कि इस प्रकरण में जो लोग भी दोषी साबित होते हैं उनसे वसूली की जाएगी और संबंधित कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा. बहरहाल, पशुधन विभाग में इतना बड़ा खुलासा सामने आने के बाद भी मामले में संलिप्त किसी भी भ्रष्ट अफसर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जिम्मेदार इस मामले पर कुछ भी कहने से बचते हुए नजर आ रहे हैं और बड़े पैमाने पर हुई इस अनियमितता की कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है।
दोगुनी से ज्यादा कीमत में खरीदा कोल्ड बॉक्स, एक ही आइटम दो बार खरीदा
पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने विभिन्न उपकरणों की खरीद दो गुना कीमत पर की। 50 हजार से कम में खरीदा गया कोल्ड बॉक्स उत्तर प्रदेश में विभाग ने 1 लाख, 27 हजार 700 रुपए में खरीदा। चहेती फर्मों को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर प्रक्रिया में भी धांधली की गई। जिलों में इस्तेमाल होने वाले सामान की आपूर्ति सीधे जिलों को ना कराकर पशुपालन विभाग के मुख्यालय पर कराई गई। फिर जब मुख्यालय से सामान जिलों में भेजे गए, तो अतिरिक्त खर्च हुए। सामग्री की खरीद के लिए टेंडर की निर्धारित टाइम लाइन भी फॉलो नहीं हुई। एक ही आइटम दो बार अलग-अलग दरों पर खरीदा गया।
2018 में भी हो चुका है पशुपालन विभाग में घोटाला
साल 2018 में उत्तर प्रदेश के पशुधन विभाग में 214 करोड़ की कीमत के आटा सप्लाई का टेंडर दिलाने के नाम पर ये घोटाला हुआ था। दरअसल, ठगी के इस खेल में टेंडर के नाम पर पूरी तरह से फर्जीवाड़ा किया गया था। इसका मास्टरमाइंड आजमगढ़ का रहने वाला आशीष राय था।








