यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections 2022) की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। चंद घंटों बाद देश के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य में पहले चरण का मतदान शुरू हो जायेगा। पहले चरण के तहत 10 फरवरी को होने वाली वोटिंग को लेकर तमाम सियासी दलों ने जनता को रिझाने में पूरा जोर लगा दिया है। सभी राजनितिक दलों की यह रणनीति रहेगी की शुरुआत दमदार की जाए लिहाजा मतदान के पहले चरण की वोटिंग से कुछ घंटों पहले मंगलवार को लखनऊ में भाजपा ने अपना घोषणा पत्र प्रस्तुत किया।
रोजगार से लेकर किसानों के मुद्दों और कानून व्यवस्था से लेकर जनसामान्य के जमीनी मुद्दों पर बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में एक सुस्पष्ट खांका प्रस्तुत किया है। समाजवादी पार्टी का भी घोषणा पत्र जल्द ही आने वाला है। भाजपा पर आक्रामक रहे अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के दूसरे नेता जनता को रिझाने और जातीय समीकरणों को साधने के साथ BJP के संकल्प पत्र के जवाब में कौन सी सियासी रणनीति अपनाते हैं यह महज कुछ घंटो बाद तब पता चल जाएगा जब सपा अपना मेनिफेस्टो वचन-पत्र जारी करेगी।
10 फरवरी को होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग के लिए मंगलवार शाम से चुनाव प्रचार थम जाएगा। बुधवार को प्रदेश के पहले चरण में शामिल विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव संपन्न कराने के लिए पोलिंग पार्टियां रवाना हो जाएंगी। इसके बाद गुरुवार सुबह से पहले चरण की वोटिंग शुरू होगी। चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित समय सारणी के मुताबिक पहले चरण के मतदान में शामिल 11 जिलों की 58 विधानसभा सीटों पर सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक वोट डलेंगे।
पहले चरण के मतदान में पश्चिमी यूपी और ब्रज क्षेत्र की विधानसभा सीटें शामिल हैं। पश्चिमी यूपी को फतह करना एक तरफ जहां भाजपा के लिए सरकार बनाने में बड़ी चुनौती के तौर पर उभरी है तो वहीं समाजवादी पार्टी के लिए पश्चिम का किला फतह करना आसान नहीं है। भले ही सपा अध्यक्ष किसानों और नौजवानों की बात करते हुए भाजपा पर हमलावर क्यों ना रहे हो लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कृषि कानून की वापसी का फायदा बीजेपी को न मिले।
2017 के चुनाव में पश्चिमी यूपी और ब्रज क्षेत्र के इन सभी जिलों में भाजपा ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था। यहां की कुल 58 विधानसभा सीटों में से 53 सीटों पर BJP ने अपना दबदबा कायम किया था। इन जिलों में भाजपा ने अपनी मजबूत पैठ बना रखी है। हालांकि साल 2017 के बाद आज पश्चिमी यूपी में जमीनी परस्थितियां बेहद तेजी से बदली हैं। एक साल से अधिक चला किसान आंदोलन भी बीजेपी के माथे पर गहरी चिंता की लकीरें खींच रहा है जो तमाम केंद्रीय नेताओं और खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अभिभाषणों में स्पष्ट दिखाई पड़ा।
केंद्रीय मंत्री अमित शाह से लेकर पीएम मोदी और खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पश्चिमी यूपी के गन्ना किसानों को लेकर बीजेपी सरकार की उपलब्धियां गिनने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा। साल 2017 में सपा और बसपा के पास दो-दो सीटें थी और जयंत चौधरी की पार्टी रालोद को एक सीट मिली थी। वहीं अन्य पार्टियों की बात करें तो उनके पास गंवाने के लिए कुछ नहीं है।