
पीलीभीत. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भले ही भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालसेंस की नीति का दावा कर रही हो, लेकिन सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार ने दीमक की तरह पैर पसार रखा है. ताजा मामला जनपद पीलीभीत के अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ विभाग का है. जहां लगभग 2100 अल्पसंख्यक छात्रों का फर्जी नामांकन दिखाकर करोड़ो रुपए निकाल लिए गए.
हैरान कर देने वाली बात ये है कि जिले में छात्रवृत्ति के फार्म सत्यापन के लिए जिले के 14 अफसरों और शिक्षा विभाग सहित अल्पसंख्यक विभाग को जाते हैं. छात्रवृत्ति के लिए सबसे पहले जब छात्र आवेदन करते हैं तो उसकी ऑनलाइन स्क्रूटनी होती है. बाद स्क्रूटनी छात्र अपने आवेदन का फाइनल प्रिंट आउट कॉलेज के जरिए जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को भेजा जाता है.
तदोपरांत उसके अभिलेखों का मिलान करने के बाद सभी डाटा सही होने की स्थिति में और धन की उपलब्धता के आधार पर निदेशालय लखनऊ स्तर से भुगतान की कार्रवाई की जाती है. हालांकि जनपद पीलीभीत में कई दफा अफसरों द्वारा सत्यापन किए जाने के बाद भी बड़ा घोटाला चलता रहा और अफसर अंजान बने बैठे रहे है.
सूत्रों की मानें तो जिले के माफिया फर्जी छात्रवृत्ति के नाम पर लंबे समय से भ्रष्टाचार का सिंडीकेट चला रहे है. भ्रष्टाचार के इस खुले खेल में अल्पसंख्यक अधिकारियों से लेकर सत्यापन में नामित किए गए अफसरों तक भ्रष्टाचार की मोटी रकम पहुंचती है. जिसकी वजह से इतने बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है.









