यूपी पुलिस आर्थिक अपराध शाखा (EOW) के पुलिस अधीक्षक (SP) स्वप्निल ममगैन ने गुरुवार को जानकारी दी कि कथित तौर पर किसानों को गेहूं और धान खरीदने के नाम पर ठगने के आरोपी 54 वर्षीय वीर करण अवस्थी और 52 वर्षीय ऋतिका अवस्थी का लंदन से प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया है। यूपी पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को ब्रिटेन से उनके प्रत्यर्पण के लिए मंजूरी मिल गई है। इन दोनों लोगों के खिलाफ दिल्ली और यूपी धोखाधड़ी के कई मामलों के संबंध में जांच चल रही है।
SP, EOW ने कहा कि लंदन कि एक अदालत ने प्रत्यर्पण के लिए देश की नोडल एजेंसी केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के माध्यम से EOW द्वारा बहुत समझाने के बाद दोनों के प्रत्यर्पण की अनुमति दी। अब जल्द ही उनके खिलाफ दर्ज मामलों में मुकदमा चलाने के लिए उन्हें भारत लाया जाएगा। (SP) स्वप्निल ममगैन ने जानकारी देते हुए कहा कि केंद्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने कई मामलों में प्रत्यर्पण का प्रबंधन किया था, लेकिन राज्य की एजेंसियों के लिए विदेश से आरोपी को प्रत्यर्पित कराने में सफल होना बेहद दुर्लभ रहते था इसलिए यह EOW के लिए एक बड़ी सफलता है।
दरअसल, अक्टूबर 2015 में यूपी के बुलंदशहर में धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के मामले में अवस्थी दंपति को लंदन में गिरफ्तार किया गया था। एसपी ने जानकारी दी कि दंपति की दिल्ली स्थित फर्म ‘बुश फूड्स ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड’ ने अपनी फर्म सौरभ एंड संस को ₹ 1.76 करोड़ का भुगतान किए बिना ही फर्जी तरीके से साल 2013 और 2015 के बीच बुलंदशहर ‘आरहटिया’ के लोकेंद्र सिंह से गेहूं और धान खरीदा था।
लोकेन्द्र को जब इस फर्जीवाड़े का पता चला तब उन्होंने दोनों आरोपियों और उनकी फर्म के खिलाफ आईपीसी की धारा 406 के तहत आपराधिक साजिश और धारा 420 के तहत धोखाधड़ी के मामले में 20 अक्टूबर, 2015 को प्राथमिकी दर्ज कराई। दोनों आरोपी दंपति 11 नवंबर, 2015 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से गिरफ्तारी पर सशर्त रोक लगाने में कामयाब रहे। उच्च न्यायलय ने इस शर्त पर गिरफ्तारी से रोक लगाई कि वे अपना पासपोर्ट जमा करेंगे और देश नही छोड़ेंगे।
पुनः इस मामले में “जनवरी 2016 में, सुप्रीम कोर्ट ने 86 लाख के निजी मुचलके पर वीर करण अवस्थी के इलाज के लिए लंदन जाने की अनुमति दी और तब से वे वापस नहीं आए। SP, EOW स्वप्निल ममगैन ने आगे जानकारी देते हुए कहा, “अदालत ने दंपति के वापस नहीं लौटने पर उनके प्रत्यर्पण के लिए सख्त निर्देश जारी किए।”
मामला 22 मार्च, 2016 को EOW को स्थानांतरित कर दिया गया था। बता दें कि बुलंदशहर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत से गिरफ्तारी वारंट की मांग के बाद EOW लगातार दिसंबर 2016 से ही दंपति को प्रत्यर्पित करने के प्रयास में जुटा हुआ था। दंपति की गिरफ्तारी के लिए रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था और आखिरकार उन्हें लगभग तीन साल की प्रक्रिया के बाद अक्टूबर 2019 में गिरफ्तार किया जा सका।