
चुनाव से पहले बड़ा राजनीतिक दांव
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनाव से पहले बिहार में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए उच्च जाति आयोग के गठन की अधिसूचना जारी कर दी है। यह फैसला सवर्ण वर्ग के हितों को साधने और उनकी आवाज़ को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा राजनीतिक संकेत माना जा रहा है।
आयोग के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चयन
आयोग के पहले अध्यक्ष के रूप में BJP के वरिष्ठ नेता महाचंद्र सिंह को नियुक्त किया गया है, जबकि JDU के राजीव रंजन प्रसाद आयोग के उपाध्यक्ष बनेंगे। यह गठबंधन आगामी चुनावों में दोनों पार्टियों की सहयोगात्मक रणनीति को दर्शाता है।
सवर्ण आयोग का पिछला इतिहास
नीतीश कुमार ने इससे पहले 2011 में भी सवर्ण आयोग बनाया था, लेकिन वह आयोग बाद में निष्क्रिय हो गया था। इस बार फिर से इसे सक्रिय कर सवर्ण वर्ग के हितों की रक्षा के लिए ठोस प्रयास किए जाने की उम्मीद है।
राजनीतिक विश्लेषण: सवर्ण वर्ग की राजनीति
विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय सवर्ण वर्ग की राजनीतिक भागीदारी और उनकी समस्याओं को उजागर करने की कोशिश है, जिससे आगामी चुनाव में इस वर्ग के मतों को आकर्षित किया जा सके।
आगे की राह
उच्च जाति आयोग के गठन से बिहार की सामाजिक-राजनीतिक स्थिति में बदलाव की संभावना है। यह आयोग सवर्ण वर्ग के मुद्दों को उठाने और उनके समाधान के लिए काम करेगा, जिससे राज्य की राजनीति में नई बहस और चर्चाएं शुरू हो सकती हैं।









