
यूपी में हुए लोकसभा चुनाव के नतीजों से भाजपा को जब से झटका मिला है, तभी से ही यूपी भाजपा में उथल-पुथल तेज नजर आ रही है। अभी भाजपा उस चोट से उबर भी नहीं पाई थी की अब विधानसभा उपचुनाव आ गया है। अब पार्टी इस चुनाव में अपना दमखम दिखाने की कोशिशों में लगी हुई है। इस बीच बीजेपी में ऐसे कई सियासी घटनाक्रम नजर आए हैं, जिसे देखने के बाद लग रहा है कि यूपी भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
दरअसल, यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के तेवर जुदा – जुदा दिख रहा है। वहीं, भाजपा के भीतर ताबड़तोड़ बैठक-मुलाकातों से ये संकेत मिल रहे हैं कि यूपी भाजपा जरूर कोई बड़ी सियासी रणनीति तैयार करने में जुटी हुई है। जिसके चलते लखनऊ से लेकर दिल्ली तक सियासी पारा हाई है।
पहले सीएम योगी के सामने ही केशव मौर्य का संगठन को सरकार से बड़ा बताना, फिर प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में खुद को कार्यकर्ता कहना, इसके बाद अब अचानक दिल्ली पहुंचकर जेपी नड्डा से मुलाकात करना… इन घटनाक्रमों को देखने के बाद साफ़ पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के बीच आपसी मनमुटाव पैदा हो रहा है। राजनीती के जानकारों का तो ये भी कहना है कि यूपी भाजपा में कुछ और बड़ा होने वाला है, जिसकी पटकथा पहले से ही लिखी जा चुकी है या फिर लिखी जा रही है।
मौर्य का ट्वीट बहुत कुछ कहता है
केशव प्रसाद मौर्य के कार्यालय के एक्स हैंडल से 17 जुलाई को पोस्ट पर कहा गया कि, “संगठन सरकार से बड़ा है, कार्यकर्ताओं का दर्द मेरा दर्द है संगठन से बड़ा कोई नहीं, कार्यकर्ता ही गौरव है।” यानी की एक बार फिर अपने इस पोस्ट के जरिये उन्होंने अपने मन की बात और सरकार के खिलाफ अपना मनमुटाव साफ़ कर दिया है। वहीं, CM योगी चुनाव में हार के लिए कार्यकर्ताओं के अति आत्मविश्वास को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। तो सवाल ये उठता है कि क्या योगी और मौर्य में सब कुछ ठीक है?
CM Yogi के समीक्षा बैठक में भी नहीं शामिल हुए थे केशव मौर्य
2024 में उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव के बाद से ही केशव और सीएम योगी के बीच अदावत की अफवाहें उड़ रही हैं। केशव मौर्य के तरफ से उठाए गए कुछ कदमों और बयानों ने इसके संकेत भी दिए हैं। योगी बनाम मौर्य की चर्चा के पीछे एक और कारण बताया जा रहा है। सियासी जानकारों का मानना है कि जब लोकसभा चुनाव के बाद जून में हार की समीक्षा के लिए सीएम योगी ने बैठक बुलाई थी तो उस बैठक में केशव मौर्य का नहीं पहुंचना भी यह साबित करता है।
सूत्रों की मानें तो लखनऊ से लेकर दिल्ली तक की ये मुलाकातें-बैठकें यूपी भाजपा में बड़े बदलाव की ओर इशारा कर रहे हैं. अब सवाल है कि आखिर केशव प्रसाद मौर्य अचानक दिल्ली क्यों पहुंचे हैं? उन्होंने जेपी नड्डा से क्या बातचीत की? क्या केशव प्रसाद सीएम योगी से नाराज चल रहे हैं, क्या उनके और सीएम योगी के बीच में सबकुछ ठीक है? क्या यूपी में करारी हार का यह असर है? इन सभी सवालों के अभी जवाब तलाशने की कोशिशें जारी हैं। मगर आप अपनी राय हमें कमेंट बॉक्स में जरूर दीजिएगा









