अदाणी के खिलाफ अमेरिकी न्याय विभाग का अभियोग ‘रणनीतिक भूल’, भारत-अमेरिका संबंधों को खतरा: फोर्ब्स

अमेरिकी न्याय विभाग (DoJ) द्वारा भारतीय उद्योगपति गौतम अदाणी के खिलाफ अभियोग एक बड़ी कूटनीतिक गलती साबित हो सकता है, जिससे भारत-अमेरिका संबंधों को गंभीर नुकसान पहुंचने का खतरा है।

Desk : अमेरिकी न्याय विभाग (DoJ) द्वारा भारतीय उद्योगपति गौतम अदाणी के खिलाफ अभियोग एक बड़ी कूटनीतिक गलती साबित हो सकता है, जिससे भारत-अमेरिका संबंधों को गंभीर नुकसान पहुंचने का खतरा है। प्रतिष्ठित अमेरिकी पत्रिका फोर्ब्स ने अपने एक लेख में इस मुद्दे को उठाते हुए इसे पश्चिमी देशों के लिए एक गलत कदम करार दिया है।

फोर्ब्स में छपे लेख ‘The US Harms The West’s Alliances With A Far-Flung Indictment In India’ में लेखक मेलिक कायलान ने कहा कि यह मामला अमेरिका-भारत संबंधों में अविश्वास पैदा कर सकता है, जबकि वाशिंगटन चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए नई दिल्ली के साथ मजबूत गठजोड़ की कोशिश कर रहा है।

भारत की वैश्विक भूमिका और पश्चिमी गठबंधन
लेख में इस बात पर जोर दिया गया कि भारत पश्चिमी गठबंधन के लिए एक अहम रणनीतिक साझेदार है, खासकर भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) जैसी परियोजनाओं में, जिसका उद्देश्य चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का मुकाबला करना है। इस संदर्भ में, अडानी समूह जैसी भारतीय कंपनियों पर इस तरह की कानूनी कार्रवाई अमेरिका की आर्थिक साझेदारी और निवेश को प्रभावित कर सकती है।

भारत को रूस-चीन के करीब धकेलने का खतरा
लेख में यह भी चेतावनी दी गई कि अगर अमेरिका इस तरह की कानूनी कार्रवाइयों के जरिए भारत के शीर्ष उद्योगपतियों को निशाना बनाता है, तो इससे भारत पश्चिमी देशों से दूर होकर रूस और चीन के साथ अपने संबंध और मजबूत कर सकता है। यह अमेरिका की वैश्विक रणनीति के लिए एक बड़ा झटका होगा।

पश्चिमी देशों का अतिक्रमण और रणनीतिक विफलता
लेख में यह भी तर्क दिया गया कि यह अभियोग पश्चिमी देशों की न्यायिक अतिक्रमण नीति का एक और उदाहरण है, जहां अमेरिका की क्षेत्रीय-बाह्य (extraterritorial) कानूनी कार्रवाइयां वैश्विक सहयोग को बाधित कर रही हैं। इस तरह की कार्रवाइयों से अमेरिका अपने ही सहयोगियों को कमजोर कर रहा है, जबकि चीन और रूस अपनी आर्थिक और सैन्य ताकत को लगातार बढ़ा रहे हैं।

लेख के अंत में, लेखक ने अमेरिका की इस कार्रवाई को एक “कूटनीतिक चूक” करार दिया, जिससे भारत के साथ अमेरिका की साझेदारी को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि “बीजिंग में लोग इस फैसले पर हंस रहे होंगे।”

भारत की संभावित प्रतिक्रिया?
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत इस मामले पर कड़ा रुख अपना सकता है और इसे आर्थिक संप्रभुता और रणनीतिक स्वायत्तता के खिलाफ एक कदम के रूप में देख सकता है। भारत सरकार इस पर औपचारिक विरोध जता सकती है और अमेरिका के साथ आर्थिक एवं व्यापारिक साझेदारी की समीक्षा कर सकती है।

Related Articles

Back to top button