Uttar Pradesh : बिना डॉक्टर चल रहा फर्जी पैथोलॉजी सेंटर, पांच लाख में डिग्री, बड़ा खुलासा….

पुलिस की जांच में एक बड़ा खुलासा हुआ हैं. जांच में पता चला हैं कि ओमप्रकाश को लोग तीन नामों से जानते है। कुछ लोग एके सिंह तो कुछ अतुल नाम....

Uttar Pradesh : उत्तर प्रदेश में प्रशासन भले ही चिकित्सकीय सुविधाओं को बेहतर होने के दावें करें. लेकिन यहां धंधेबाजों के लिए मरीज किसी भी एटीएम मशीन से कम नहीं हैं। तभी तो कभी एम्बुलेंस घोटाला, कभी मरीजों की खरीद फरोख्त तो कभी फर्जी अस्पताल संचालन की खबरें सामंने आती ही रहती हैं। गोरखपुर में फर्जी पैथालॉजी का खुलासा हुआ है। पुलिस ने गोरखपुर के रहने वाले डॉ. राहुल नायक की डिग्री का फर्जी इस्तेमाल कर पैथोलॉजी संचालित करने के मामले में बृजेश लाल, ओमप्रकाश गौतम और दीपक विश्वकर्मा को गिरफ्तार किया है।

3 नाम से जाना जाता हैं ओमप्रकाश

वही पुलिस की जांच में एक बड़ा खुलासा हुआ हैं. जांच में पता चला हैं कि ओमप्रकाश को लोग तीन नामों से जानते है। कुछ लोग एके सिंह तो कुछ अतुल नाम से जानते हैं। दीपक सभी को पांच लाख रुपये में डिग्री उपलब्ध कराता था, तो ओमप्रकाश जरूरतमंदों से संपर्क कर डिग्री दिलाने का झांसा देता था। गिरफ्तारी करने वाली टीम को प्रोत्साहन के रुप में 15 हजार रुपये का इनाम दिया गया है। साथ ही सभी संबंधित जिलों के सीएमओ को जांच के लिए पुलिस की ओर से पत्र भी भेजा गया है।

पांच लाख में मिलती डिग्री

इसके अलावा महराजगंज में पैथोलॉजी खोलने वाले एक शख्स ने भी पांच लाख रुपये में आरोपी बृजेश लाल से डिग्री ली थी, लेकिन उसका रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया। इस पर वह डॉ. राहुल नायक से मिला। डॉक्टर ने उसे बताया कि वह खुद आवेदन कर रहे हैं और नहीं हो रहा है। डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन न होने पर साथ ही डॉ. राहुल नायक की शिकायत के बाद इस पूरे मामले का खुलासा हुआ..

एक नाम पर तीन पैथोलॉजी सेंटर

दरअसल, डॉ. राहुल नायक खुद पैथोलॉजी सेंटर खोलना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने आवेदन किया तो उनके नाम पर तीन पैथोलॉजी सेंटर चलने की जानकारी हुई। यह सुनकर वह हैरान हो गए। जब उनका खुद का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ तो उन्होंने एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर से मुलाकात की। बीतें 17 मई को एसएसपी के आदेश पर गुलरिहा थाने में केस दर्ज कर पुलिस ने जांच शुरू की तो पता चला कि उनकी डिग्री से फर्जी डिग्री बनाकर गाजीपुर, वाराणसी में सेंटर चल रहा है। पुलिस में मामला आने के बाद पूरे गिरोह का पर्दाफाश हुआ।

सीएमओ को भेजा पत्र

बता दें कि वाराणसी, गाजीपुर में पैथोलॉजी संचालित हो रही थी, जबकि फर्जी डिग्री की मदद से ही प्रयागराज और मऊ के अलावा गाजीपुर में एक और पैथोलॉजी पंजीकरण के लिए आवेदन किया गया है। सभी संबंधित जिलों के सीएमओ को पुलिस की ओर से पत्र भेजा गया है कि वह विभागीय जांच कराएं कि डॉक्टरों की डिग्री आरोपियों के पास कैसे पहुंच गई। कहीं इसमें विभागीय सांठगांठ तो नहीं है।

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