
Uttar Pradesh: लखनऊ के इंदिरा नगर थाना क्षेत्र के चांदन गांव में करोड़ों की जमीन का फर्जी बैनामा होने का मामला सामने आया हैं.. रामलखन परलोक से आकर जमीन का बैनामा कर गया .. दरअसल 24 नवंबर 2000 को रामलखन की मृत्यु हो गई थी.. मरने के 2 साल बाद 8 अगस्त 2002 को रामलखन की जमीन का बैनामा हुआ.. ये फर्जी बैनामा भूमाफियाओं ने कराया हैं. अब मृतक रामलखन की दो बहनें हैं जो न्याय की गुहार लगा लगा रही हैं.. सवाल भी हैं कि आखिर 2 साल पहले मर गया वो कैसे आकर बैनामा कर गया?
दरअसल इंदिरानगर थाना क्षेत्र के चांदन गांव के रहने वाले दलित अधीन के नाम गांव में ही खसरा नंबर 304 रकबा 0.837 हेक्टेयर जमीन थी. अधीन का एक बेटा रामलखन और बेटियां दुलारी और सुमन है। दुलारी और सुमन की शादी हो चुकी है. अधीन की मौत के बाद यह पूरी जमीन रामलखन के नाम आ गई.24 नवम्बर 2000 को रामलखन की मौत हो गई. रामलखन की शादी नहीं हुई थी, लिहाजा उसका कोई वारिस नहीं था. करोड़ों की इस जमीन पर कथित भूमाफियाओं की नजर पड़ी. रामलखन की जमीन हड़पने के लिए भूमाफियाओं ने कई हथकंडे अपनाए, जिस दलित रामलखन की मृत्यु 24 नवंबर 2000 को हो गई थी। उसी के नाम 8 अगस्त 2002 को एक कूटरचित ढंग से फर्जी बैनामे कराया गया.
वही मृतक रामलखन की बहन दुलारी और सुमन बताती है कि जब मेरा भाई की मृत्यु वर्ष 2000 में हो गई तो वह 2002 में जमीन का कैसे बैनामा कर दिया.दुलारी और सुमन ने बताया कि उपरोक्त बैनामे में हमारे भाई रामलखन को चेक के माध्यम से कुछ भुगतान करना दिखाया गया है, जबकि सच्चाई यह है कि मेरे स्वर्गीय भाई राम लखन का कहीं पर भी किसी भी बैंक में खाता ही नहीं था.दुलारी और सुमन ने डीजीपी, पुलिस कमिश्नर सहित अन्य आला अधिकारियों से न्याय की गुहार लगाई है. दोनों बहनों ने इस मामले में एक सिविल सूट दाखिल किया है, जिसके बाद उनको लगातार धमकी मिल रही है.
इसी के साथ आपको बता दें कि इंदिरानगर चांदन के दलित रामलखन (मृतक) की जमीन को हड़पने के लिए कई कथित भूमाफियाओं ने कई हथकंडे अपनाए. रामलखन की मौत के दो साल बाद कूटरचित ढंग से फर्जी बैनामे के जरिए यह लगभग साढ़े तीन बीघा यह जमीन ग्राम मित्तई पुत्र नथई निवासी ग्राम कौड़िया तहसील निजामाबाद पोस्टा तुआ जिला आजमगढ़ के नाम बैनामा कराया गया. इसके बाद जब जांच हुई तो यह भी पता चला है कि मित्तई ने अपने ही गांव के अर्शद ऊर्फ अशफाक पुत्र हाजी अब्दूल मोबिन के नाम मुख्तारनामा किया है. चौकाने वाली बात यह है कि दोनों ने मिल यह सारी जमीन बेच डाली.
जमीन खरीदने वालों को जब इस बात की जानकारी हुई कि यह जमीन 8 अगस्त 2002 में दलित रामलखन से बैनामा हुआ है, जबकि उसकी मौत 24 नवंबर को चुकी थी.जमीन खरीदने वाले लोगों ने जब इस बात को लेकर हंगामा शुरु किया तो कथित भूमाफियाओं ने एक और बड़ा खेल किया. जिस जमीन को वर्ष 2009, 2013, 2014 और 2020 में बेचा जा चुका है. उसी जमीन को राजस्व विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को मौटा रिश्वत देकर नियम विरूद्ध वर्ष 2021 में धारा 80 कराया गया. बता दें कि वर्ष 2019 में मित्तई की मौत हो चुकी है. फिलहाल राजस्व अभिलेखों में यह जमीन मित्तई के पुत्र भरत, भुवन, त्रिभुवन, और चंद्रभान के नाम है. यह जमीन अभी भी बेची और बेची गई जमीन का नियम विरूद्ध हो गया धारा खरीदी जा रही है.









