8 वर्षों में यूपी का इलेक्ट्रॉनिक निर्यात 3,862 करोड़ से बढ़कर 44,744 करोड़ के पार, सीएम योगी ने इन विभागों को दिए निर्देश

उत्तर प्रदेश में स्टार्टअप संस्कृति का दायरा तेजी से बढ़ रहा है और इसे और सशक्त बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई अहम कदम...

उत्तर प्रदेश में स्टार्टअप संस्कृति का दायरा तेजी से बढ़ रहा है और इसे और सशक्त बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई अहम कदम उठाने की दिशा में निर्देश दिए हैं। शनिवार को सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में स्टार्टअप, सेमीकंडक्टर, डाटा सेंटर और इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण में लगातार प्रगति हो रही है और अब इसे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में शीर्ष श्रेणी में स्थापित करना है।

मुख्यमंत्री ने युवाओं को तकनीक आधारित नई अर्थव्यवस्था से जोड़ने के लिए सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में इसे शामिल किया। उन्होंने कहा कि युवाओं को आईटी और आईटीईएस सेक्टर में अधिक से अधिक जोड़ा जाए और इसके लिए प्रायोगिक प्रशिक्षण मॉडल विकसित किए जाएं। उन्होंने इयान रियलिटी जैसी संस्थाओं के साथ सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया।

मुख्यमंत्री ने निवेशकों को सरल, पारदर्शी और समयबद्ध अनुमति व्यवस्था उपलब्ध कराने का निर्देश दिया, ताकि निवेश प्रक्रिया में किसी प्रकार की देरी न हो। उन्होंने कहा कि पात्र निवेशकों को प्रोत्साहन राशि के लिए प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए और विभागीय स्तर पर जवाबदेही तय की जाए।

उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के निर्यात में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्ष 2017-18 में जहां ₹3,862 करोड़ का निर्यात हुआ था, वहीं वर्ष 2024-25 में यह ₹44,744 करोड़ तक पहुंच गया है। इसी अवधि में आईटी निर्यात भी ₹55,711 करोड़ से बढ़कर ₹82,055 करोड़ हो चुका है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति 2020 के तहत अब तक 67 निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिनमें ₹15,477 करोड़ के निवेश और 1,48,710 रोजगार की संभावनाएं हैं। इसके अलावा, डाटा सेंटर नीति के तहत विभिन्न कंपनियों ने ₹21,342 करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव दिए हैं, जिनसे लगभग 10,000 नए रोजगार सृजित हो रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने स्टार्टअप नीति के तहत भी निरंतर प्रगति दर्ज की जाने की बात कही। वर्ष 2021-22 में ₹274 लाख की धनराशि स्टार्टअप प्रोत्साहन के लिए जारी की गई थी, वहीं जनवरी 2025 तक यह राशि बढ़कर ₹2,600 लाख तक पहुंच गई है।

मुख्यमंत्री ने स्टार्टअप फंड के प्रभावी उपयोग और निगरानी व्यवस्था को सुदृढ़ करने के निर्देश दिए।

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