Uttarakhand Cloudburst : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बड़ा बयान : कल सुबह मैं मौके पर जा रहा हूं, राहत और बचाव पहली प्राथमिकता

Chief Minister Uttarkashi Visit. उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में मंगलवार को आई भीषण प्राकृतिक आपदा के बाद पूरे राज्य में हड़कंप मच गया है। खीर गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में बादल फटने के बाद आई भयानक बाढ़ से कई मकान और होटल बह गए हैं, कई गांवों में तबाही का मंजर है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आपदा को “बड़ी घटना” करार देते हुए कहा है कि “कल सुबह मैं खुद मौके पर जा रहा हूं, अभी पूरा फोकस राहत और बचाव कार्यों पर है।”

कल सुबह प्रभावित क्षेत्र का दौरा करेंगे मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि वे 6 अगस्त की सुबह उत्तरकाशी के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेंगे और हालात की समीक्षा करेंगे। उन्होंने कहा कि हम पीड़ितों को हरसंभव सहायता देंगे। राज्य सरकार ने जिला प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि प्रभावितों को तुरंत राहत शिविरों में पहुंचाया जाए और भोजन, चिकित्सा और अन्य जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जाएं।

सीएम धामी ने दी जानकारी: 70-80 लोगों को सुरक्षित निकाला गया

मुख्यमंत्री ने भारत समाचार चैनल को दिए बयान में कहा कि राज्य और केंद्र सरकार की तमाम एजेंसियां मिलकर रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही हैं। अब तक करीब 70 से 80 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, लेकिन हालात अभी भी गंभीर बने हुए हैं। धामी ने स्पष्ट किया कि लोगों को सुरक्षित निकालना ही सरकार की पहली प्राथमिकता है।

उन्होंने बताया कि सभी विभाग आपसी समन्वय से कार्य कर रहे हैं। SDRF, NDRF, ITBP और सेना की टीमें मौके पर डटी हुई हैं। उन्होंने बताया कि घटना की सूचना मिलते ही शासन स्तर पर कंट्रोल रूम सक्रिय कर दिया गया था और लगातार स्थिति पर नजर रखी जा रही है।

धराली गांव में तबाही, 50-60 लोगों के लापता होने की आशंका

उत्तरकाशी जिले के ऊंचाई पर बसे धराली गांव और उसके आसपास के क्षेत्रों में बादल फटने से भयंकर बाढ़ आ गई। अब तक प्रशासन की ओर से 4 लोगों की मौत की पुष्टि की गई है, लेकिन स्थानीय लोग दावा कर रहे हैं कि करीब 50 से 60 लोग लापता हैं। खीर गंगा नदी का जलस्तर अचानक इतना बढ़ा कि 20 से 25 होटल और होमस्टे बह जाने की आशंका जताई जा रही है।

घटना बड़ी है, दहशत में हैं लोग

स्थानीय निवासियों ने बताया कि 10-12 लोग मलबे में दबे हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि बाढ़ इतनी अचानक आई कि लोग घरों और होटलों से बाहर निकल ही नहीं पाए। गांवों में दहशत का माहौल है और लोग सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं। प्रभावित इलाकों में बिजली और संचार सेवाएं भी बुरी तरह प्रभावित हुई हैं, जिससे राहत कार्यों में बाधा आ रही है।

सेना, NDRF, SDRF और ITBP की टीमें मौके पर मौजूद

घटना की सूचना मिलते ही केंद्र और राज्य की आपदा एजेंसियां सक्रिय हो गईं। SDRF और NDRF की टीमें तुरंत रवाना की गईं, वहीं भारतीय सेना और ITBP की टुकड़ियां भी घटनास्थल पर पहुंच चुकी हैं। प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों को निकालने के लिए हेलिकॉप्टर की मदद लिए जाने पर विचार किया जा रहा है। प्रशासन ने चेतावनी जारी की है कि लोग पहाड़ी ढलानों और नदियों के आसपास न रहें और सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं।

उत्तराखंड की यह त्रासदी एक बार फिर बताती है कि पर्वतीय क्षेत्रों में जलवायु आपदाएं कितनी खतरनाक और अप्रत्याशित हो सकती हैं। हालांकि सरकार की त्वरित प्रतिक्रिया, राहत दलों की तत्परता और मुख्यमंत्री धामी की संवेदनशीलता ने साबित किया है कि आपदा की घड़ी में शासन पूरी तरह से सक्रिय है। आने वाले 24 घंटे राहत कार्यों के लिए निर्णायक होंगे।

Related Articles

Back to top button