
जैविक खेती के क्षेत्र में उत्तराखंड को एक उत्कृष्ट राज्य बनाने के लिए राज्य सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाया है. दरअसल, राज्य की पुष्कर धामी सरकार के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री गणेश जोशी के नेतृत्व में 6 विधायक और कृषि विभाग से जुड़े 4 अधिकारी यूरोपीय देशों के 10 दिवसीय दौरे पर हैं. विधायकों और विभागीय अधिकारियों का यह दौरा उत्तराखंड में उन्नत जैविक कृषि क्रांति लाने के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है.
यूरोपीय देशों के दौरे पर पहुंचे उत्तराखंड सरकार में कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री गणेश जोशी और उनकी 10 सदस्यीय टीम यूरोपीय देशों से जैविक खेती की आधुनिक तकनीकों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे. विधायकों और विभागीय अधिकारियों के 10 दिवासीय दौरे के अनुभव का लाभ उत्तराखंड में जैविक खेती के विकास में लिया जाएगा.

उत्तराखंड की धामी सरकार कृषकों की आमदनी दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस लिहाज से जर्मनी और उत्तराखंड सरकार के बीच आधुनिक खेती से जुड़े तकनिकी ट्रांसफर को लेकर एक समझौत साइन हुआ है. जर्मनी की आईफोम-ऑर्गेनिक्स इंटरनेशनल और उत्तराखंड सरकार के बीच हुए इस करार से राज्य को आर्गेनिक खेती की उन्नत और आधुनिक तकनीक मिलेगी जिससे प्रदेश के किसानो को बड़ा फायदा होगा.

बता दें कि जैविक खेती को लेकर उत्तराखंड सरकार के फैसलों से राज्य के किसानों को बेहतर लाभ हो रहा है. रिपोर्ट्स बताते हैं कि उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में जैविक खेती किसानों को भरपूर लाभ दे रही है. उदाहरण के लिए, देहरादून के चकराता क्षेत्र के उत्पल्टा गांव के एक किसान गोपाल दींटा (36) की आय 2017 में जैविक खेती करने के बाद से 40% से अधिक बढ़ गई है.
राज्य सरकार ने साल 2021 तक कुल कृषि भूमि के 31 प्रतिशत हिस्से को जैविक बनाने का लक्ष्य रखा था और इसे आगे बढ़ाने के लिए कई बड़े फैसले भी लिए. साल 2017-18 में, 35,601 हेक्टेयर कृषि भूमि जैविक हो चुकी थी, जो 2018-19 में बढ़कर 1,24,365 हेक्टेयर, 2019-20 में 1,54,226 हेक्टेयर और वित्तीय वर्ष 2020-21 में 2,30,540 हो गया. इस जैविक भूमिधरी की प्रमुख उपज में दालें, सब्जियां, बाजरा, गेहूं और दूसरे कई मौसमी फसलें शामिल थी.









