जानकारी: भारत में लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर क्या हैं प्रावधान, जानें उच्च न्यायालय के क्या हैं आदेश !

लिव-इन रिलेशनशिप आज को दौर का नया रहने का तरीका है. इसका मतलब होता है कि शादी किए बगैर जब दो बालिग लोग आपसी सहमति से साथ रह सकते हैं. और उनका आपस में रिश्ता पति पत्नी की तरह होता है.

लखनऊ: डिजिटल डेस्क: सोमवार को राजधानी दिल्ली से दिल दहला देने वाली घटना सामने आई. राष्ट्रीय राजधानी में लिव इन में रहने वाले आफताब नाम के एक मुस्लिम युवक ने अपनी पार्टनर श्रद्धा की निर्मम हत्या कर दी. नृशंसता की सारी हदें पार करते हुए आफताब ने अपने पार्टनर श्रद्धा के शव के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और अलग-अलग इलाकों में फेंक दिया.

ये उस रिश्ते में हुआ जहां पर ये दोनो लिव- इन रिलेशनशिप में रहते थे. मृतिका श्रद्धा के पिता विकास मदान वाकर ने बीते 8 नवंबर को अपनी बेटी के अपहरण की एफआईआर दिल्ली के महरौली थाने में दर्ज कराई थी. श्रद्धा के पिता ने बताया कि वह परिवार सहित महाराष्ट्र के पालघर में रहते हैं. उनकी 26 साल की बेटी श्रद्धा वाकर मुम्बई के मलाड इलाके में स्थित बहुराष्ट्रीय कम्पनी के कॉल सेंटर में नौकरी करती थी.

आपको बता दें कि भातरत में लव इन रिलेशनशिप गैर कानूनी नहीं है. भारत मे कोई भी वयस्क लव इन रिलेशनशिप में रह सकता है. और कोई इस पर आपत्ति नही जता सकता.

लिव-इन रिलेशनशिप का ये है कानूनी अधिकार

लिव-इन रिलेशनशिप आज को दौर का नया रहने का तरीका है. इसका मतलब होता है कि शादी किए बगैर जब दो बालिग लोग आपसी सहमति से साथ रह सकते हैं. और उनका आपस में रिश्ता पति पत्नी की तरह होता है. लेकिन पति पत्नी की तरह रहने के बावजूद दोनों के बीच विवाह जैसा सामाजिक संबंध नहीं होता है. सुप्रीम कोर्ट नें वर्ष 2006 में कहा था कि कोई वयस्क होने के बाद किसी के साथ भी रहने को स्वतंत्र है.

वो किसी के साथ शादी करता है या नही ये उसका स्वतंत्र अधिकार है. लाइव लॉ के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने अपने अलग-अलग फैसले में लिव-इन को अपराध नहीं मानता है. कोर्च यह भी कह चुका है कि कुछ लोगों की नजर में ‘अनैतिक’ हो सकता है बावजूद इसके ऐसे रिश्ते में रहना कोई अपराध नहीं है.

एक रिपोर्ट की माने तो इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे दो बालिग लोगों की पुलिस सुरक्षा की मांग को जायज ठहराते हुए कहा था कि ये संविधान के अनुच्छेद- 21 के तहत राइट टू लाइफ की श्रेणी में आता है.

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