चाचा शिवपाल और अखिलेश के साथ आने से क्या पड़ेगा यूपी की राजनीति पर असर, BJP के लिए खड़ी करेगा मुसीबत ?

मैनपुरी में समाजवादी पार्टी की बड़ी जीत के बाद चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश यादव ने सार्वजानिक रूप से साथ आने का ऐलान कर दिया. इसके साथ ही प्रासपा और सपा के विलय की भी घोषणा हो गई

उत्तर प्रदेश : मैनपुरी में समाजवादी पार्टी की बड़ी जीत के बाद चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश यादव ने सार्वजानिक रूप से साथ आने का ऐलान कर दिया. इसके साथ ही प्रासपा और सपा के विलय की भी घोषणा हो गई. राजनीति के जानकार बताते है कि मैनपुरी में डिंपल यादव की बड़ी जीत में शिवपाल यादव का बड़ा योगदान रहा. बताते चले की शिवपाल यादव की विधानसभा जसवंतनगर से ही डिंपल यादव को एक लाख से ज्यादा मतों की बढ़त हासिल हुई थी. विश्लेषक कहते है की शिवपाल यादव की राजनीति के माहिर खिलाडी है.

अब जब चाचा भतीजा एक ही पार्टी में यानि समाजवादी पार्टी के लिए काम करेंगे तो यह आने वाले समय में बीजेपी की राजनीति को यूपी में काफी हद तक प्रभावित कर सकता है. शिवपाल यादव को यूपी की राजनीति में जमीनी ने के रूप में जाना जाता है. उनके समर्थक यूपी के हर जिले में है. वही अखिलेश यादव का अपना जनसमर्थन है वह युवाओं के बीच खासे लोकप्रिय बताए जाते है.

प्रासपा और सपा के विलय के बाद दोनों पार्टी के कार्यकर्ताओं में भी काफी उत्साह और जोश देखा जा रहा है. चाचा भतीजा के साथ आने से इसका यूपी की राजनीति पर असर पड़ना स्वाभाविक है. जानकार बताते है कि आगामी लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को इसका लाभ मिल सकता है अब वह सीटों में कितना परिवर्तित होगा यह देखना होगा.

राजनीति के जनकार कहते है कि यूपी की राजनीति अब दो धुर्वीय हो चली है यहाँ पर केवल सपा और बीजेपी ही दिखाई पड़ते है बाकी पार्टियां चुनावी राजनीति में अपनी धमक दिखाने में नाकाम दिखाई पड़ रही है. चाचा भतीजे की जुगलबंदी की पहली परीक्षा आगामी निकाय चुनाव में देखने को मिलेगी। नगर निकाय में बीजेपी एक स्थापित पार्टी रही है.

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