
डॉ. मनमोहन सिंह ने 22 मई 2004 से 26 मई 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा दी। उनका कार्यकाल 3,656 दिनों का था, जो उन्हें पंडित जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले प्रधानमंत्रियों में शामिल करता है। 2004 में, जब सोनिया गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष और यूपीए प्रमुख के रूप में चुना गया, उन्होंने प्रधानमंत्री बनने से इंकार कर दिया और यह जिम्मेदारी डॉ. मनमोहन सिंह को सौंप दी। इस फैसले ने राजनीति और प्रशासन के बीच एक अनूठा संतुलन स्थापित किया।
डॉ सिंह ने 1971 में विदेश व्यापार मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और 1976 तक वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार बन गए। 1991 में, वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया की शुरुआत की, जिसने भारत को आर्थिक संकट से उबारकर विकास की दिशा में अग्रसर किया। उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद, भारत ने उच्च विकास दर और मजबूत अर्थव्यवस्था की ओर महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए।
इंडो-यूएस परमाणु समझौता (2008)- इस समझौते ने अमेरिका के साथ भारत के रणनीतिक संबंधों को सुदृढ़ किया।
समाज कल्याण- उन्होंने शिक्षा का अधिकार, मनरेगा और सूचना का अधिकार जैसे ऐतिहासिक कानूनों को लागू किया।
वैश्विक पहचान- डॉ. मनमोहन सिंह ने समावेशी विकास, कूटनीति और सामाजिक कल्याण को अपनी प्राथमिकता बनाते हुए भारत को वैश्विक मंच पर महत्वपूर्ण पहचान दिलाई।









