शुक्रवार की सुबह राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने एक आश्चर्यजनक फैसला लिया। उन्होंने अपने सम्बोधन मे कहा कि उनकी सरकार तीन कृषि कानूनों को रद्द कर देगी। पीएम मोदी के इस फैसले के बाद तमाम विपक्षी पार्टियों ने भाजपा सरकार पर यह आरोप लगाया है साल 2022 में देश के कई राज्यों में होने वाले चुनावों के मद्देनजर किसानों से राजनीतिक चुनौती उत्पन्न होता देख, केंद्र ने यह फैसला लिया है।
तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला देश के समक्ष रखने के बाद प्रधानमंत्री ने किसानों से अपने घर वापस लौटने का आग्रह किया। उन्होंने कहा,”मैं किसानों को अपने परिवारों के पास लौटने और नई शुरुआत करने का आग्रह करता हूं।” उन्होंने आगे कहा कि “इस महीने के अंत में शुरू होने वाले संसद सत्र में, हम इन तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा करेंगे।”
प्रधानमंत्री की इस घोषणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, उत्तर प्रदेश के एक प्रमुख किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, “हम विरोध वापस नहीं ले रहे हैं। हम इंतजार करेंगे और देखेंगे कि क्या होता है। साथ ही, हम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर एक कानून चाहते हैं।
किसान संघ के दूसरे नेताओं ने राकेश टिकैत की बात दोहराई। किसान आंदोलन के एक और प्रमुख नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर आंदोलन जारी रहेगा। यह उन लाखों किसानों की जीत है जिन्होंने हार नहीं मानी। यह लोकतंत्र की जीत है लेकिन आंशिक जीत है। हमारी दो मांगें थीं, एक (तीन) कानूनों को निरस्त करना था। दूसरा, हमें न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दें, जिसकी मांग खुद प्रधानमंत्री ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए की थी। इस पर अभी विचार नहीं किया गया है लेकिन संघर्ष जारी रहेगा।