
लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2027 से पहले बहुजन समाज पार्टी (BSP) के भीतर एक नई हलचल मच गई है। सोमवार को पार्टी की बैठक में BSP प्रमुख मायावती ने एक बड़ा निर्णय लिया। उन्होंने आकाश आनंद को पार्टी के सभी पदों से हटा दिया और उनके उत्तराधिकार को भी समाप्त कर दिया। इस निर्णय के बाद पार्टी में चर्चाओं का सिलसिला शुरू हो गया है।
मायावती का बयान: आकाश आनंद की जिम्मेदारियों का निलंबन
इस मामले में मायावती ने अपना बयान जारी किया और कहा कि आकाश आनंद को पार्टी से हटाने का फैसला उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ की पार्टी से निकाले जाने के बाद की स्थिति को देखते हुए लिया गया है। मायावती ने स्पष्ट किया कि आकाश आनंद की पत्नी प्रज्ञा सिद्धार्थ के पिता अशोक सिद्धार्थ के पार्टी से बाहर किए जाने का आकाश पर गहरा असर पड़ा। उन्होंने कहा, “आकाश आनंद पर उनके ससुर का असर और प्रज्ञा पर उसके पिता का प्रभाव पार्टी के हित में सकारात्मक नहीं था, इसलिए यह कदम उठाना पड़ा।”
मायावती ने यह भी कहा कि आकाश आनंद को सभी जिम्मेदारियों से अलग किया गया है, लेकिन वह अभी भी पार्टी के कार्यों में शामिल रहेंगे। मायावती ने यह साफ किया कि आकाश आनंद को उनके राजनीतिक करियर को नुकसान पहुंचाने के लिए उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ को जिम्मेदार ठहराया है।
प्रज्ञा सिद्धार्थ कौन हैं?
आकाश आनंद और मायावती के रिश्ते किसी से छिपे नहीं हैं। दिसंबर 2023 में मायावती ने आकाश आनंद को पार्टी का राष्ट्रीय समन्वयक और राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया था। हालांकि, लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान आकाश आनंद के बयान के कारण पार्टी में हलचल मच गई, जिसके बाद मायावती ने उन्हें फिर से पद से हटा दिया, लेकिन बाद में उन्हें उत्तराधिकारी के रूप में पुनः नियुक्त कर दिया।
आकाश आनंद की शादी प्रज्ञा सिद्धार्थ से हुई है, जो एक राजनीतिक परिवार से आती हैं। प्रज्ञा के पिता, डॉ. अशोक सिद्धार्थ, BSP के कद्दावर नेता रहे हैं और वह 2016 से 2022 तक राज्यसभा सांसद रहे थे। मायावती के करीबी नेताओं में उनकी गिनती होती थी। आकाश आनंद और प्रज्ञा की शादी मार्च 2023 में गुरुग्राम में हुई थी और नोएडा में एक भव्य रिसेप्शन हुआ था, जिसमें कई गणमान्य व्यक्ति पहुंचे थे।
आखिरकार, BSP का भविष्य और आकाश आनंद का राजनीतिक करियर
इस निर्णय के बाद BSP के भीतर और बाहर दोनों जगह हलचल तेज हो गई है। आकाश आनंद, जो अब तक पार्टी के भविष्य के नेता माने जा रहे थे, के राजनीतिक करियर पर सवाल उठने लगे हैं। वहीं, पार्टी और परिवार के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए आगे क्या दिशा होगी, यह देखना होगा।
मायावती के फैसले से स्पष्ट है कि पार्टी में अब परिवारिक संबंधों और राजनीति के बीच एक नया संतुलन बनाना होगा, ताकि 2027 के विधानसभा चुनाव में BSP अपनी स्थिति मजबूत कर सके।