“क्रिसमस के दिन चिमनी में मोजे क्यों लटकाए जाते हैं? जानिए इसका दिलचस्प इतिहास!”

जिन्हें आज हम सेंटा क्लॉज के नाम से जानते हैं, इस व्यक्ति की मदद करने का निर्णय लिया। निकोलस तुर्किस्तान के मायरा शहर में तीसरी सदी में जन्मे थे

क्रिसमस डे अब बस कुछ ही दिनों दूर है, और हर साल 25 दिसंबर को इसे दुनिया भर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह दिन ईसाई धर्म के लिए बेहद खास है, क्योंकि इसे प्रभु यीशु मसीह का जन्मदिन मनाने के रूप में मनाया जाता है। हालांकि, अब यह त्योहार हर धर्म के लोग सेलिब्रेट करने लगे हैं। इस दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं, क्रिसमस ट्री लगाते हैं, एक-दूसरे को बधाइयां देते हैं, और विशेष रूप से अपने प्रियजनों के लिए गिफ्ट्स खरीदते हैं।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्रिसमस के दिन चिमनी के पास मोजे क्यों लटकाए जाते हैं? अगर नहीं, तो यह एक दिलचस्प परंपरा है, जिसकी जड़ें ईसाई धर्म में हैं। इसके पीछे एक प्रसिद्ध कहानी है, जो संत निकोलस से जुड़ी हुई है।

कहा जाता है कि एक गरीब व्यक्ति की तीन बेटियाँ थीं, और वह अपनी बेटियों की शादी के लिए धन जुटाने में असमर्थ था। इस चिंता से वह परेशान था, और यह बात आसपास के लोग भी जानते थे। संत निकोलस, जिन्हें आज हम सेंटा क्लॉज के नाम से जानते हैं, ने इस व्यक्ति की मदद करने का निर्णय लिया। निकोलस तुर्किस्तान के मायरा शहर में तीसरी सदी में जन्मे थे, और उनका जीवन दयालुता और सेवाभाव से भरा हुआ था।

संत निकोलस ने किसी को भी बिना बताए आधी रात को उस गरीब व्यक्ति के घर में घुसकर उसकी बेटियों के लिए सोने के सिक्के चुपचाप मोजों में रख दिए, ताकि उनकी शादी के लिए पैसे मिल सकें। इस परंपरा ने धीरे-धीरे क्रिसमस के दिन मोजे लटकाने की परंपरा को जन्म दिया। अब लोग क्रिसमस के दिन अपने घरों में मोजे लटकाते हैं, मानते हुए कि सेंटा क्लॉज उनके लिए गिफ्ट्स लाएंगे।

यह परंपरा आज भी कायम है और पूरे विश्व में लोग इसे खुशी से मनाते हैं। संत निकोलस की यह दया और उनके द्वारा किए गए चुपके से मदद करने का तरीका आज भी क्रिसमस के उत्सव में एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

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