क्यों किया जाता है रामलला का सूर्य तिलक? क्या है मान्यता?, जाने विस्तार से

रामचरित मानस में भगवान राम का सूर्य देव के साथ संबंध का विस्तार से वर्णन किया गया है। कथाओं के अनुसार भगवान राम सूर्यवंशी थे।

इस बार रामनवमी बेहद खास रही। क्योंकि अयोध्या में रामलला के विराजमान होने के बाद यह पहली रामनवमी है। इस अवसर पर रामलला को सूर्य तिलक किया गया। सूर्यवंशी भगवान राम का सूर्य देव से गहरा संबंध है। रामलला के जन्म से सूर्य का विशेष महत्व है। रामायण में भी इसका जिक्र है।

क्यों किया जता है रामलला का सूर्य तिलक?

रामचरित मानस में भगवान राम का सूर्य देव के साथ संबंध का विस्तार से वर्णन किया गया है। कथाओं के अनुसार भगवान राम सूर्यवंशी थे। सूर्य उनके कुल देवता थे। रामचरित मानस में तुलसीदास जी ने एक चौपाई लिखी है- “मास दिवस कर दिवस भा मरम न जानइ कोइ। रथ समेत रबि थाकेउ निसा कवन बिधि होइ।” इसका अर्थ है, जब भगवान राम का जन्म हुआ था, तो सूर्य काफी प्रसन्न हुए थे और अपने रथ के साथ अयोध्या पहुंचे। यहां पर पूरे एक महीने तक रुके। जिसके चलते अयोध्या में एक महीने तक रात ही नहीं हुआ। इसलिए कहा जाता है कि अयोध्या का एक दिन एक महीने के बराबर होता है। यही कारण है कि रामलला के जन्मदिन के अवसर पर सूर्य तिलक का विशेष महत्व है।

9 शुभ योग में रामलला का सूर्य तिलक

इसके साथ ही रामलला के सूर्य तिलक के दौरान रवि योग, गजकेसरी, केदार, पारिजात, अमला, शुभ, सरल, काहल और  वाशि योग था। इस प्रकार सूर्य तिलक 9 शुभ योग में किया गया। ये शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 05 मिनट से दोपहर 1 बजकर 35 मिनट रहा। वाल्मीकि रामायण के अनुसार त्रेता युग में अयोध्या में जब प्रभु राम का जन्म हुआ था तब सूर्य और शुक्र अपनी-अपनी उच्च राशि में थे और चंद्रमा भी अपनी राशि में मौजूद थे। इस बार रामनवमी पर ऐसा ही शुभ संयोग बना।

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