तीसरे पक्ष की मध्यस्थता क्यों स्वीकार की जा रही?…ओवैसी का सरकार से तीखा सवाल

असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार से सीजफायर पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को करना चाहिए था, न कि किसी विदेशी राष्ट्रपति को।

असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार पर उठाए गंभीर सवाल, पुलवामा और पहलगाम के आतंकवादियों का पीछा न छोड़ने की बात की। उन्होंने सीजफायर की घोषणा और तीसरे पक्ष की मध्यस्थता पर तीखा विरोध जताया।

सीजफायर पर असदुद्दीन ओवैसी का बयान

असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार से सीजफायर पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को करना चाहिए था, न कि किसी विदेशी राष्ट्रपति को। ओवैसी ने आरोप लगाया कि कश्मीर हमारा आंतरिक मामला है, और विदेशी मंच पर इस पर बातचीत क्यों हो रही है?

सरकार और सेना के साथ खड़ा हूं-ओवैसी

ओवैसी ने यह भी स्पष्ट किया कि वह हमेशा सेना और सरकार के साथ खड़े हैं, लेकिन उन्होंने सीजफायर की घोषणा को लेकर सवाल उठाया। उनका कहना था कि यह फैसला देश की सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ा हुआ है, जिसे बिना सोचे-समझे नहीं लिया जा सकता।

तीसरे पक्ष की मध्यस्थता पर सवाल

ओवैसी ने यह भी सवाल उठाया कि तीसरे पक्ष की मध्यस्थता क्यों स्वीकार की जा रही है? उनका कहना था कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है, और किसी अन्य देश या संगठन को इसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।

पुलवामा और पहलगाम के आतंकवादियों का पीछा छोड़ने की अपील

ओवैसी ने पुलवामा और पहलगाम के आतंकवादियों का पीछा न छोड़ने की अपील की। उनका कहना था कि आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई जारी रहनी चाहिए, चाहे सीजफायर हो या न हो।

यह बयान उस समय आया है जब सरकार ने विभिन्न देशों के बीच रिश्तों को सुधारने और कश्मीर के मसले पर बातचीत के संकेत दिए हैं।

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