यूपी के लिए क्यों जरूरी सुनील बंसल, प्रदेश अध्यक्ष से लेकर संगठन महामंत्री बनवाने तक निभा रहे अहम भूमिका

8 साल से ज्यादा उत्तर प्रदेश संगठन महामंत्री बीजेपी की जिम्मेदारी संभालने वाले सुनील बंसल आखिर क्यों जरूरी है। 8 साल के बाद राष्ट्रीय महासचिव बनाकर 3 राज्यों का प्रभारी बनाए जाने के बाद भी उत्तर प्रदेश की राजनीति में सुनील बंसल की भूमिका अहम मानी जा रही है

रिपोर्ट-स्वाती पाठक

8 साल से ज्यादा उत्तर प्रदेश संगठन महामंत्री बीजेपी की जिम्मेदारी संभालने वाले सुनील बंसल आखिर क्यों जरूरी है। 8 साल के बाद राष्ट्रीय महासचिव बनाकर 3 राज्यों का प्रभारी बनाए जाने के बाद भी उत्तर प्रदेश की राजनीति में सुनील बंसल की भूमिका अहम मानी जा रही है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के चयन के समय भूपेंद्र चौधरी के साथ उनका होना और उनके अध्यक्ष बनाए जाने तक उस फैसले में सुनील बंसल की भूमिका निभाए जाना। अब हम आप को समझाते हैं कि सुनील बंसल की यूपी से दिल्ली प्रमोशन होने से लेकर उत्तर प्रदेश बीजेपी संगठन में लिए जा रहे फैसले में निभाई जा रही भूमिका के बारे में।

प्रदेश संगठन महामंत्री और प्रदेश अध्यक्ष दो महत्वपूर्ण पद पर फैसले बंसल के द्वारा

उत्तर प्रदेश भाजपा को प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के तौर पर मिल गया। इससे पहले प्रदेश संगठन महामंत्री बनाए गए धर्मपाल सिंह को बनाए जाने पर भी सुनील बंसल की सहमति मानी जा रही है। इसके अलावा सुनील बंसल के द्वारा लगातार उत्तर प्रदेश में हो रही बैठकों में शामिल होना अभी भी जारी है। 17 अगस्त को गाजियाबाद की बैठक में तो नहीं लेकिन लखनऊ में हुई बैठक में सुनील बंसल मंच पर दिखाई पड़े। बीजेपी के जुड़े सूत्र बताते हैं कि सुनील बंसल 2024 के चुनाव में अहम भूमिका उत्तर प्रदेश में निभाएंगे। बीते दिनों सुनील बंसल को राष्ट्रीय महासचिव बनाए जाने के बाद तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा का प्रभारी क्यों ना बनाया गया हो। सूत्र यह भी बताते हैं आगामी चुनाव की रणनीतियों में भी सुनील बंसल की भूमिका अहम रहेगी।

सरकार पर संगठन का दबाव बनाए जाने पर पूरा फोकस

भारतीय जनता पार्टी में बीते कई दिनों से उत्तर प्रदेश में संगठन और सरकार को लेकर बयानबाजी हो रही है। बीते 17 अगस्त को केशव प्रसाद मौर्य के द्वारा किए गए ट्वीट “सरकार से संगठन बड़ा है!” के बाद यह चर्चाएं और तेज हो गई। इन चर्चाओं से पहले केशव प्रसाद मौर्य और डिप्टी सीएम बृजेश पाठक का जेपी नड्डा से मुलाकात करना। इसके अलावा सुनील बंसल के द्वारा उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने में अहम भूमिका निभाना। इस पूरी प्रक्रिया में सीएम योगी आदित्यनाथ का दूर रहना। सरकार संगठन के बीच बनाए जा रहे दबाव का असर देखने को मिल रहा है। यहीं नहीं यूपी के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने खुद स्वीकारा कि चाहे वह केंद्रीय सरकार हो या फिर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार हो पार्टी के दिए गए एजेंडे पर ही केंद्रित होकर काम कर रही है।

समन्वय के बिना संगठन और सरकार कैसे जीतेगा यूपी की 80 लोकसभा?

केंद्रीय नेतृत्व लगातार यूपी पर फोकस किए हुए हैं। क्योंकि यूपी की 80 लोकसभा सीटें कई अन्य राज्यों में हो रहे नुकसान की भरपाई करने में अहम मानी जा रही है। उत्तर प्रदेश में रामपुर और आजमगढ़ के लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने मीडिया के सामने खुद कहा कि 75 लोकसभा नहीं 80 की ओर बढ़ चुके हैं।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता भी 80 लोकसभा की सीट जीतने की बात कई बार दोहरा चुके हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों के जीतने का किया जा रहा टारगेट बिना सरकार और संगठन के समन्वय के पूरा कैसे होगा। उधर राष्ट्रीय नेतृत्व बीजेपी के एक पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि इन दिनों उत्तर प्रदेश की राजनीति में संगठन और सरकार के बीच टकराव कई बार दिल्ली तक पहुंच गया। इस टकराव को सुलझाने के लिए खुद गृहमंत्री अमित शाह को सामने तक आना पड़ा। यहां तक एक मंत्री ने तो जातीय आरोप लगाते हुए इस्तीफा देने की पेशकश कर दी थी। राष्ट्रीय टीम के पदाधिकारी ने यह भी स्वीकार किया कि इस्तीफे की पेशकश के पीछे कहीं न कहीं संगठन जिम्मेदार था। अगर संगठन ने मंत्री को विश्वास दिलाया होता तो यह मामला दिल्ली तक न पहुंचता।

कौन है सुनील बंसल

मूल रूप से सुनील बंसल राजस्थान के रहने वाले हैं। यूपी की राजनीति से पहले राजस्थान के अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में महासचिव के पद पर तैनात रहे। 2014 चुनाव से पहले उन्हें यूपी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में काम करने के लिए भेजा गया। यूपी आने के बाद उनकी मुलाकात तत्कालीन बीजेपी के महासचिव और यूपी के प्रभारी अमित शाह से हुई। वहीं से सुनील बंसल की भूमिका निभाने लगे।

यूपी की इन चुनाव में निभाई अहम भूमिका

सुनील बंसल ने 2014 लोकसभा चुनाव के बाद 2017 यूपी विधानसभा, 2019 लोकसभा चुनाव और फिर 2022 के विधानसभा चुनावों में प्रचंड जीत दिलाने का काम किया। यूपी में 2014 से पहले पार्टी संगठन की स्थिति बहुत दयनीय थी, लेकिन सुनील बंसल ने बूथ स्तर पर संगठन के ढांचे को मजबूत किया। यही वजह है कि उनकी बूथ से लेकर प्रदेश स्तर तक संगठन पर मजबूत पकड़ मानी जाती है।

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