किसानों की दृढ इच्छाशक्ति के सामने आखिरकार सरकार को हार मानना ही पड़ा। पिछले 15 महीनों से चल रहा किसानों का धरना आज समाप्त हो गया। दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने एक दूसरे को मिठाईयां बांटी, टेंट उखाड़े और आंदोलन स्थगित करने की घोषणा की। दरअसल, केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी सहित उनकी सभी शेष मांगों को स्वीकार कर लिया है जिसको लेकर कुछ दिन पहले किसान संगठनों ने सरकार को एक चिट्ठी सौंपी थी।
पिछले एक साल से ऊपर किसान सर्दी, गर्मी और प्रकृति की हर मार को झेलते हुए दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले रहे। सरकार के इस फैसले के बाद किसानों ने कहा कि वे शनिवार को वापस जाएंगे। संयुक्त किसान मोर्चा, 15 दिसंबर को दिल्ली में एक समीक्षा बैठक करेगी, लेकिन सूत्रों ने कहा कि 11 दिसंबर की सुबह सिंघू और टिकरी विरोध स्थलों पर किसानों ने आज शाम फतेह अरदास (विजय प्रार्थना) और फतेह मार्च (विजय मार्च) के साथ अपनी सफलता का जश्न मनाने का फैसला किया है। पंजाब के किसान नेताओं ने 13 दिसंबर को अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में मत्था टेकने की योजना भी बनाई है।
सरकार ने कहा कि देश भर के किसानों के खिलाफ सभी मामले वापस लिए जाएंगे, वहीं दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में फैलने वाले प्रदुषण का कारण बनने वाली पराली जलाने की समस्या पर सरकार ने कहा कि इसपर भी किसानों को माफ कर दिया जायेगा। सरकार 40 से अधिक किसान संघों के समूह संयुक्त किसान मोर्चा के साथ चर्चा करने के बाद संसद में बिजली संशोधन विधेयक भी लाएगी। वहीं आंदोलन के दौरान मरे 700 से अधिक किसानों को मुआवजा देने की बात भी सरकार ने मांग ली है।