
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बयान, “हर आतंकवादी वारदात को युद्ध के रूप में माना जाएगा,” ने पूरे देश में गहरा प्रभाव डाला है। पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी हमले के बाद यह बात गर्व और उम्मीद दोनों को जागृत करती है। आम जनता इसे सीधे तौर पर समझती है कि भारत हर आतंकवादी हमले का कड़ा सैन्य जवाब देगा। लेकिन यह व्याख्या भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति की जटिलता को पूरी तरह नहीं पकड़ती।
संदेश और रणनीति में फर्क
प्रधानमंत्री का यह बयान एक चेतावनी संदेश है, जो दुश्मनों को यह स्पष्ट करता है कि भारत किसी भी जानबूझकर की गई провокация पर निष्क्रिय नहीं रहेगा। यह सिर्फ राजनीतिक इशारा नहीं है, बल्कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर भारत की मजबूत सुरक्षा नीति को दर्शाता है।
लेकिन इसे केवल सैन्य नीति समझना गलत होगा। भारत की आतंकवाद के खिलाफ प्रतिक्रिया दशकों में विकसित हुई है, जिसमें 2001 संसद हमले, 2008 मुंबई हमला, 2016 उरी और 2019 पुलवामा हमलों के बाद सैन्य विकल्प खुले तौर पर सामने आए, पर वे हर बार लागू नहीं होते। भारत अब ‘हाइब्रिड से लड़ने के लिए हाइब्रिड’ रणनीति अपनाता है, जिसमें सैन्य से लेकर कूटनीतिक, आर्थिक और साइबर उपाय भी शामिल हैं।
सामान्य जन की धारणा और वास्तविकता
सामान्य जनता अक्सर सर्जिकल स्ट्राइक या हवाई हमले को डिफॉल्ट जवाब मानती है, जो उरी और बालाकोट हमलों के बाद मजबूत हुई। पर हर हमले का सैन्य जवाब उचित या प्रभावी नहीं होता। कई बार आतंकवादी हमले भारत को असंतुलित प्रतिक्रिया देने के लिए उकसाते हैं, जिसे पाकिस्तान कूटनीतिक रूप से भुनाना चाहता है।
इसलिए भारत अब गुप्त और सार्वजनिक दोनों तरह के उपाय करता है — जासूसी, साइबर ऑपरेशन, पाकिस्तान का आर्थिक-राजनीतिक बहिष्कार, और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दबाव।
भारत की नई रणनीति: ‘नियंत्रित बढ़ोतरी’
- परमाणु सीमा के नीचे विश्वसनीय निवारण: ऑपरेशन सिंदूर ने दिखाया कि बिना पूर्ण युद्ध के भी सख्त संदेश दिया जा सकता है।
- लचीली प्रतिक्रिया: भारत अपनी प्रतिक्रिया का समय, स्थान और तरीका चुन सकता है, जिससे पाकिस्तान की योजना असंभव हो जाती है।
- गैर-सैन्य उपाय: आर्थिक और कूटनीतिक दबाव, साइबर हमले आदि का इस्तेमाल।
- कानूनी और संस्थागत सुदृढ़ता: एनआईए, यूएपीए जैसे कानूनों के ज़रिए पहले से रोक और बाद में कार्रवाई।
संयम की अहमियत
सख्त बयान के बावजूद संयम भारत की रणनीति का अहम हिस्सा है। पाकिस्तान एक परमाणु संपन्न राष्ट्र है, और दोनों देशों के लिए पूर्ण युद्ध घातक होगा। इसलिए भारत वैचारिक और कूटनीतिक संतुलन के साथ प्रतिबंधात्मक हमले करता है।
हमले का स्रोत पहचानना जरूरी
हर हमला पाकिस्तान द्वारा समर्थित नहीं होता। इसलिए प्रतिक्रिया से पहले जांच और पुष्टि जरूरी है। ऑपरेशन सिंदूर में थोड़ी देर हुई पर यह प्रतिक्रिया की विश्वसनीयता बढ़ाने में मददगार रही।
जनता की अपेक्षाओं का प्रबंधन
सार्वजनिक दबाव और मीडिया में बढ़ते भावनात्मक बहाव के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में संतुलन बनाए रखना चुनौती है। हर हमले पर तत्काल सैन्य जवाब देना संभव या समझदारी नहीं होती।
पीएम मोदी का बयान “रणनीतिक संकल्प” का परिचायक है, न कि हर बार तुरंत जवाब देने का वादा। यह पाकिस्तान को सतर्क रखने की नीति है। भारत का असली उद्देश्य आतंक के ढांचे को धीरे-धीरे समाप्त करना है — न केवल हथियारों से, बल्कि कूटनीति, कानून, और सामाजिक समझ से भी। युद्ध केवल हमले नहीं, बल्कि बुद्धिमत्ता, रणनीति और प्रभाव का खेल है। यही भारत की नई लक्ष्मण रेखा है।









