दुनिया : उत्तर कोरिया में अनाज का संकट, किम जोंग उन ने जारी किया यह तुगलकी फरमान…

खाद्यान्न संकट के साथ इस समय उत्तर कोरिया कई आर्थिक सकंटों के दौर से गुजर रहा है। पहले भी साल 1990 में देश में इस तरह की परिस्थिति उत्पन्न हुई थी जिसे अकाल और आपदा की अवधि से जोड़कर देखा गया था। देश में यह स्थिति सोवियत संघ के पतन के बाद उत्पन्न हुई थी।

पहले भी साल 1990 में उत्तर कोरिया इस आपदा से प्रभावित रहा था। उस समय उतर कोरिया सोवियत संघ की साम्यवाद की अवधारणा का जोरदार समर्थन करता था। इस वजह से साल 1990 में आई भुखमरी जैसी आपदा में करीब 30 लाख उत्तर कोरियाई लोगों ने अपनी जान गंवाई थी।

उत्तर कोरिया में अनाज का संकट बड़े पैमाने पर फैला हुआ है। यहां लोगों को खाने के लाले पड़े हुए हुए हैं। उत्तर कोरिया में किम जोंग उन की तानाशाह सरकार इस विषम परिस्थित में लोगों की मदद करने के बजाय, उनके खाना कम खाने की हिदायत दे रही है। दरअसल, उत्तर कोरिया के लोगों का प्रमुख भोजन मक्का है लेकिन पिछले कई महीनों से यहां के लोगों की अनाज की मांग पूरी नहीं हो पा रही है और इस कारण से देश में मक्के के साथ चावल के भी दाम आसमान छू रहे हैं।

देश में व्याप्त खाद्यान्न संकट पर किम जोंग उन ने कई कारणों का जिक्र किया है। उनका मनना है कि देश में कृषि से अनाज उत्पादन की मात्रा में बेहद कमी आई है और इसके कारण यह अनाज का संकट उत्पन्न हुआ है। किम जोंग उन ने इस आपदा से निपटने के लिए अपने ही लोगों के खिलाफ एक तुगलकी फरमान जारी कर दिया है। इस फरमान में तानाशाह ने अपने लोगों को साल 2025 तक कम भोजन करने का आदेश दिया है।

बता दें कि खाद्यान्न संकट के साथ इस समय उत्तर कोरिया कई आर्थिक सकंटों के दौर से गुजर रहा है। पहले भी साल 1990 में देश में इस तरह की परिस्थिति उत्पन्न हुई थी जिसे अकाल और आपदा की अवधि से जोड़कर देखा गया था। देश में यह स्थिति सोवियत संघ के पतन के बाद उत्पन्न हुई थी। इस अकाल के दौरान नागरिकों को एकजुट करने के लिए यहां के नौकरशाहों ने ‘कठिन मार्च’ शब्द को अपनाया और उसकी प्रक्रिया को लोगों को भी पालन करने की सलाह दी। बता दें कि उस समय उतर कोरिया सोवियत संघ की साम्यवाद की अवधारणा का प्रबल समर्थक रहा था और इसके कारण 1990 में आई भुखमरी जैसी आपदा में करीब 30 लाख उत्तर कोरियाई लोगों ने अपनी जान गंवाई थी।

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