नवरात्रि में सप्तमी के दिन मां काली की करें पुजा आराधना, पाऐं कष्टों से निवारण और शत्रुओं से मुक्ति

नवरात्रि में सप्तमी के दिन मां काली की करें पुजा आराधना, पाऐं कष्टों से निवारण और शत्रुओं से मुक्ति

नवरात्र: आज शनिवार को नवरात्र की सप्तमी का दिन है. नवरात्रि में सप्तमी के दिन मां काली की पुजा आराधना की जाती है। आज ही के दिन मां काली ने शुंभ, निशुंभ और निसाचरों को विनाश करके उनके रक्तबीज देवी ने खप्पर में भरकर कालरात्रि का रूप धारण किया था। मां काली का स्वरूप हाथ में तलवार, खप्पर और गले में नरमुंड निसाचरों की माला धारण करने वाली मां काली का रूप संकट से उबारने वाला है।

21 अक्तूबर को महासप्तमी की पूजा होगी। मां काली का दुसरा स्वरुप जगत जननी मां अंबा के ललाट से उत्तपत्ति हुई थी। मां दुर्गा के नौ रूपों में देवी कालरात्रि का सातवां रूप हैं। इसलिए नवरात्र के सातवें दिन मां काली की पूजा अर्चना की जाती है। शत्रुओं से मुक्ति पाने और कष्टों से निवारण के लिए मां कालरात्री की आराधना फलदायी होता है। वराणसी के काशी विश्वनाथ गली में दक्षिणेश्वरी में मां काली का प्रतीमा मंदिर में विराजमान है। मां काली की पूजा भक्तों को शास्त्रीय विधि से पूजा करना चाहिए।

देवी मां की पूजा में नीले रंग का उपयोग किया जाता है। मां काली के इस स्वरूप को गुड़ का भोग अति प्रिय है। दुर्गा सप्तशती का पाठ और रात रानी या गेंदे के फूल अर्पित करें. घर में घी का दीपक लगाएं, पूजा में शुद्धता का विशेष ध्यान दें। शत्रुओं से मुक्ति, कष्टों से निवारण पाने के लिए रात्रि में स्नान कर लाल कपड़े पहने और 108 बार नवार्ण मंत्र, ॐ फट् शत्रून साघय घातय ॐ का जाप अवश्य करें। मान्यता के अनुसार इससे शुभ परिणाम मिलेंगे।

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