Ziaul Haq Murder Case: जियाउल हक हत्याकांड में 10 दोषी करार, 11 साल बाद मिला न्याय

अखिलेश सरकार ने तिहरे हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंप दी थी. इस घटना के बाद राजा भैया ने अखिलेश सरकार से अपना इस्तीफा भी दिया था. सीओ की...

Ziaul Haq Murder Case: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के कुंडा के सीओ रहे जिया उल हक हत्याकांड में 11 वर्ष बाद सीबीआई की विशेष अदालत का फैसला आया. जिसमें अदालत ने दस आरोपियों को दोषी माना है. इन दोषियों में फूलचंद यादव, पवन यादव, मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, राम लखन गौतम, छोटेलाल यादव, राम आसरे, मुन्ना पटेल, शिवराम पासी और जगत बहादुर पाल उर्फ बुल्ले पाल शामिल हैं. बलीपुर के प्रधान नन्हे यादव की हत्या के बाद उसके भाई की गोली लगने से मौत के बाद आक्रोशित लोगों ने सीओ की लाठी-डंडों से पीटने के बाद गोली मारकर हत्या कर दी थी. वही नौ अक्तूबर को सजा सुनाई जाएगी.

अखिलेश सरकार से देना पड़ा था इस्तीफा

बता दें कि प्रतापगढ़ के बलीपुर गांव में 2 मार्च 2013 को DSP की हत्या कर दी गई थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच सीबीआई के द्वारा की जा रही थी. ये मामला एक बार फिर सुर्खिए में है, क्योंकि शुक्रवार को कोर्ट ने 10 आरोपियों को दोषी ठहराया. यह कांड इसलिए भी चर्चित हुआ था क्योंकि सीओ की हत्या का आरोप कुंडा के बाहुबली विधायक व मंत्री रघुराज प्रताप उर्फ राजा भैया पर लगा था. उनको अखिलेश सरकार से इस्तीफा तक देना पड़ा था. सीओ की हत्या का आरोप कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया व उनके कई करीबियों पर भी लगा था. हालांकि जांच के दौरान ही सीबीआई ने क्लीन चिट दे दिया था. इस चर्चित हत्याकांड में उनकी कोई भी साजिश नहीं मिली थी.

पत्नी ने दर्ज कराई थी एफआईआर

वही जियाउल हक हत्याकांड उत्तर प्रदेश के कुंडा क्षेत्र में हुआ था, जहां वह पुलिस अधिकारी के रूप में तैनात थे. हक की हत्या के बाद उनकी पत्नी परवीन ने एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें पांच आरोपियों को नामजद किया गया था, जिनमें प्रमुख नाम रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया का था. अन्य आरोपी गुलशन यादव, हिरओम श्रीवास्तव, रोहित सिंह और संजय सिंह उर्फ गुड्डू थे.उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज हुआ था, जिनमें हत्या (धारा 302), आपराधिक षड्यंत्र (धारा 120 बी), और अन्य गंभीर आरोप शामिल थे. हालांकि, बाद में सीबीआई ने राजा भैया समेत सभी आरोपियों को क्लीन चिट दे दिया था.

सपा सरकार ने सीबीआई जांच की थी सिफारिश

बता दें कि इस मामले पर भयंकर बवाल मचा. राज्य की तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार जिसके मुखिया अखिलेश यादव थे, वो हिल गई. क्योंकि डीएसपी की हत्या का आरोप किसी और पर नहीं उसके ही एक कद्दावर मंत्री राजा भैया पर लगा. राजा भैया उस समय अखिलेश सरकार में खाद्य एवं रसद मंत्री थे. तत्कालीन अखिलेश सरकार ने तिहरे हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंप दी थी. इस घटना के बाद राजा भैया ने अखिलेश सरकार से अपना इस्तीफा भी दिया था. सीओ की पत्नी की ओर से दर्ज मुकदमे की एफआईआर पर सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट 2013 में ही दाखिल कर दी थी. सीबीआई ने राजा भैया, गुलशन यादव, हरिओम, रोहित, संजय को क्लीन चिट दी थी. हालांकि, इस क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ परवीन फिर से कोर्ट चली गई थीं. कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दिया था. सीबीआई ने राजा भैया सहित कई लोगो को क्लीनचिट देते हुए बरी कर दिया था.

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