झांसी अग्निकांड: चिल्‍ड्रन वार्ड कैसे बना बच्चों की ‘कब्रगाह’? मासूमों की मौत का जिम्मेदार कौन?

झांसी मेडिकल कॉलेज में हुई यह दर्दनाक घटना न केवल अस्पतालों की सुरक्षा की व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि प्रशासन और स्वास्थ्य प्रणाली...

झांसी अग्निकांड: उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात गहन चिकित्सा (NICU) वार्ड में शुक्रवार रात को लगी भीषण आग में 10 नवजातों की मौत हो गई, जबकि कई बच्चे घायल हो गए। इस दर्दनाक हादसे के बाद अस्पताल प्रशासन पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं, खासकर सुरक्षा इंतजामों की कमी और आग बुझाने के उपकरणों की स्थिति को लेकर। आरोप हैं कि अस्पताल में आग बुझाने का सिलेंडर एक्सपायर हो चुका था, जिसके कारण यह त्रासदी हुई।

10 बच्चों की दर्दनाक मौत, सभी की पहचान हो चुकी

झांसी मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू वार्ड में 15 नवंबर की रात लगी आग में 10 नवजातों की जान चली गई। हादसे में मारे गए बच्चों की पहचान कर ली गई है और उनके शव परिवार वालों को सौंप दिए गए हैं। इस हादसे में कई बच्चे घायल हुए हैं, जिन्हें झांसी मेडिकल कॉलेज और आसपास के निजी अस्पतालों में इलाज दिया जा रहा है।

आग के समय 49 बच्चे भर्ती थे, 38 बचाए गए

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हादसे के समय मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु वार्ड में 49 बच्चे भर्ती थे, जिनमें से 38 बच्चों को सुरक्षित बचा लिया गया है। हालांकि, एक बच्चा अब भी लापता है, जबकि तीन अन्य बच्चे गंभीर रूप से घायल हैं और उनकी हालत नाजुक बनी हुई है।

शॉर्ट सर्किट को बताया गया आग का कारण

जिलाधिकारी के अनुसार, शुरुआती जांच में शॉर्ट सर्किट को आग लगने का कारण बताया गया है। फिलहाल मजिस्ट्रियल जांच और फायर विभाग की जांच जारी है। हालांकि, कई अन्य खामियों को लेकर सवाल उठ रहे हैं। अस्पताल में आग बुझाने के पुख्ता इंतजामों की कमी और सुरक्षा उपायों की असफलता को लेकर गंभीर आरोप लग रहे हैं।

लापरवाही पर सवाल उठाए जा रहे हैं

इस घटना के बाद यह सवाल भी उठ रहे हैं कि अस्पताल में ऑन ड्यूटी स्टाफ कहां था और क्या वे प्रशिक्षित थे? अस्पताल में आउटसोर्सिंग एजेंसियों द्वारा काम पर रखे गए अनट्रेंड कर्मचारियों की जिम्मेदारी पर भी सवाल उठे हैं। यदि कोई स्टाफ मौजूद होता और आग की सूचना मिलते ही बचाव कार्य शुरू करता, तो शायद यह दुर्घटना नहीं होती।

राज्य और केंद्र सरकार की प्रतिक्रियाएं

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर गहरी संवेदनाएं व्यक्त की हैं और मृतक बच्चों के परिवारों को 5-5 लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की है, जबकि गंभीर रूप से घायल बच्चों को 50,000 रुपये देने का ऐलान किया है। मुख्यमंत्री ने घटना की पूरी जांच कराने का आदेश दिया है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हादसे पर दुख जताया और प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की। साथ ही घायलों को 50,000 रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया।

विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया

इस हादसे पर विपक्षी दलों ने भी सरकार और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस घटना को “चिकित्सा प्रबंधन और प्रशासन की लापरवाही” का परिणाम बताया और दोषियों पर दंडात्मक कार्रवाई की मांग की। वहीं, बसपा प्रमुख मायावती और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी घटना की निंदा करते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की अपील की है।

आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने इस हादसे को अस्पतालों में सुरक्षा के इंतजामों की गंभीर कमी का परिणाम बताया। उन्होंने पीड़ित परिवारों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि यह क्षति अपूरणीय है और इससे उबरना किसी भी माता-पिता के लिए बेहद कठिन होगा।

प्रशासन और स्वास्थ्य प्रणाली की लापरवाही का खुलासा

झांसी मेडिकल कॉलेज में हुई यह दर्दनाक घटना न केवल अस्पतालों की सुरक्षा की व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि प्रशासन और स्वास्थ्य प्रणाली की लापरवाही को भी उजागर करती है। इस हादसे के बाद सरकारी और निजी अस्पतालों में सुरक्षा और आपातकालीन व्यवस्था को लेकर ठोस कदम उठाने की जरूरत महसूस हो रही है।

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