
Local to global: भारत से प्ररित होकर दस से अधिक देश जनता को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए भारत के जेनेरिक फार्मेसी मॉडल को अपनाने पर विचार कर रहे हैं। एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है।
मॉरीशस ने अंतर्राष्ट्रीय जन औषधि केंद्र किया शुरू
वही जुलाई में मॉरीशस अंतर्राष्ट्रीय जन औषधि केंद्र शुरू करने वाला पहला देश बन गया हैं. जिसकी वजह से उसे भारत के फार्मास्यूटिकल्स और मेडिकल डिवाइस ब्यूरो से लगभग 250 उच्च गुणवत्ता वाली दवाइयां प्राप्त करने में मदद मिली हैं.
एंटी एलर्जिक जैसी कई दवाएं शामिल
इसमें कार्डियोवैस्कुलर एनाल्जेसिक ऑप्थाल्मिक और एंटी एलर्जिक जैसी कई दवाएं शामिल हैं. नेपाल, सूरीनाम, निकारागुआ, मोजाम्बिक, सोलोमन द्वीप, श्रीलंका, भूटान, घाना,और तालिबान शासित अफगानिस्तान भी जन औषधि केंद्र खोलने पर विचार कर रहे हैं। जो कि भारत के लिए एक अच्छी बात हैं..
सरकार के साथ बातचीत
रिपोर्ट में बताया गया है कि बुर्किना फासो, फिजी द्वीप समूह, तथा सेंट किट्स एवं नेविस इस योजना को लागू करने में मदद के लिए सरकार के साथ बातचीत भी कर रहे हैं।
देश में केवल 80 जन औषधि केंद्र
बता दें कि प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (PMBJP) एक जन कल्याणकारी योजना है जिसे नवंबर 2008 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने शुरू किया गया था। जन औषधि केंद्रों के माध्यम से आम जनता को सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण दवाइयां उपलब्ध कराई जाती हैं। 2014 में देश में केवल 80 जन औषधि केंद्र थे।
सितंबर 2024 तक देश भर में 13,822 जन औषधि
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार सितंबर 2024 तक देश भर में कुल 13,822 जन औषधि केंद्र स्थापित हो चुके हैं। सितंबर में इन केंद्रों ने 200 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड बिक्री भी की ,जो PMBJP के इतिहास में सबसे अधिक मासिक बिक्री है।
6100 करोड़ रुपये की दवाओं की बिक्री
वही पिछले 10 वर्षों में केंद्रों के माध्यम से 6100 करोड़ रुपये की दवाओं की बिक्री की गई है, जिससे लोगों को एक अनुमान के अनुसार, 30,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है। जन औषधि केन्द्रों पर दवाइयों, सर्जिकल उपकरणों और न्यूट्रास्युटिकल उत्पादों की कीमत ब्रांडेड दवाओं के बाजार मूल्य से कम से कम 50 प्रतिशत सस्ती है और कुछ मामलों में 80 से 90 प्रतिशत तक सस्ती है। केंद्र सरकार ने मार्च 2026 तक देश भर में 25,000 जन औषधि केंद्र खोलने का लक्ष्य रखा है।