आतंक नहीं, अब बदलाव की तस्वीर है कश्मीर : पहलगाम हमले के बाद फिर संवर रहा है घाटी का पर्यटन

Pahalgam Terror Attack. 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों, ज्यादातर पर्यटकों की जान चली गई। इस हमले का मकसद साफ था। कश्मीर की रीढ़ माने जाने वाले पर्यटन उद्योग पर हमला और देश में साम्प्रदायिक तनाव को भड़काना। लेकिन पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों की यह नापाक कोशिश नाकाम रही।

घाटी की फिज़ा बदली हुई है। तीन दशकों में पहली बार स्थानीय लोगों ने पाकिस्तान और आतंक के खिलाफ सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। युवाओं ने स्पष्ट संदेश दिया कि अब वे रोजगार, शिक्षा और उद्यमिता के साथ शांति को प्राथमिकता देते हैं। इस जन प्रतिक्रिया ने न केवल पाकिस्तान बल्कि दुनिया को बता दिया कि कश्मीर अब भारत की विकास यात्रा का हिस्सा बनना चाहता है, न कि अतीत के संघर्षों का बंधक।

भारत का जवाब : ऑपरेशन सिंदूर में 22 मिनट में तबाही

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर 6 मई को भारतीय सेना ने “ऑपरेशन सिंदूर” शुरू किया, जिसमें 22 मिनट के भीतर पाकिस्तान और POK में स्थित नौ आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया गया।

भारत-पाक के बीच झड़पें 10 मई तक जारी रहीं, जिसके बाद पाकिस्तान के DGMO ने भारत से सीज़फायर की गुज़ारिश की। भारत ने स्पष्ट किया है कि किसी भी आतंकी हमले को युद्ध की तरह लिया जाएगा और उसका जवाब उसी भाषा में दिया जाएगा।

पर्यटन पर असर, लेकिन फिर से उठ रही है घाटी

हमले के तुरंत बाद श्रीनगर, पहलगाम, गुलमर्ग, सोनमर्ग समेत सभी पर्यटन स्थलों की होटल बुकिंग रद्द हो गईं। डल झील सुनसान दिखने लगी। पर्यटन, जो कश्मीर की अर्थव्यवस्था की जान है, बिल्कुल थम गया। लेकिन केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने तेजी से प्रतिक्रिया दी। दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में रोड शो, यात्रा ऑपरेटरों और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स की मदद से पर्यटकों का भरोसा फिर से जीतने की कोशिश शुरू हुई। घाटी में सुरक्षा बढ़ाई गई, विशेष बलों की तैनाती पहलगाम, गुलमर्ग और अमरनाथ यात्रा मार्ग पर की गई। पर्यटकों को सुरक्षा का अहसास दिलाया गया।

घाटी की जिजीविषा : डर नहीं, विश्वास की ओर

यह हमला घाटी को पीछे धकेलने की कोशिश थी, लेकिन कश्मीरियों की दृढ़ इच्छाशक्ति और सरकार की निर्णायक कार्यवाही ने एक नया मोड़ ला दिया। पर्यटन से जुड़े लाखों लोगों की आजीविका पर मंडराता संकट, अब धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। हाउसबोट मालिकों, दस्तकारी विक्रेताओं और गाइडों ने एक बार फिर उम्मीदों के दीये जलाए हैं। घाटी का पर्यटन उद्योग खुद के दम पर फिर खड़ा होने की कोशिश कर रहा है।

नई पहचान : परिवर्तन की ओर अग्रसर कश्मीर

अब कश्मीर सिर्फ खूबसूरत वादियों की पहचान नहीं, बल्कि शांति, विकास और आत्मनिर्भरता की मिसाल बन रहा है।
सरकार की नीतियां, स्थानीय लोगों की चेतना और सेना की निर्णायक रणनीति, मिलकर एक ऐसे कश्मीर का निर्माण कर रही हैं जहां आतंक का कोई स्थान नहीं।

Related Articles

Back to top button