Rajya Sabha: Sanjay Singh ने Ladakh आंदोलनकारियों की रिहाई की मांग की, लोकतंत्र पर हमला बताया…

संजय सिंह ने कहा कि शांतिपूर्ण आंदोलन करने वालों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत जेल में डालकर सरकार देश को अघोषित आपातकाल की ओर धकेल रही है।

लखनऊ/नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने बुधवार को राज्यसभा के शून्यकाल में लद्दाख में जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी और लोकतांत्रिक असहमति के दमन का मुद्दा उठाते हुए केंद्र सरकार पर संविधान, नागरिक स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचलने का गंभीर आरोप लगाया। संजय सिंह ने कहा कि शांतिपूर्ण आंदोलन करने वालों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत जेल में डालकर सरकार देश को अघोषित आपातकाल की ओर धकेल रही है।

संजय सिंह ने सदन में कहा कि सोनम वांगचुक जिन्होंने शिक्षा, सतत विकास और हिमालयी क्षेत्र में जलवायु संरक्षण के लिए ऐतिहासिक कार्य किए हैं, कोई अपराधी नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित जलवायु कार्यकर्ता, शिक्षाविद और राष्ट्र के लिए सोचने वाले नागरिक हैं। जिन्होंने लद्दाख को वैश्विक पहचान दिलाई। उन्होंने हमेशा अहिंसक, लोकतांत्रिक और संवैधानिक तरीकों से अपनी बात रखी, लेकिन भाजपा सरकार ने उनकी आवाज़ को कुचलने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का दुरुपयोग किया। उन्होंने कहा कि सरकार अब सवाल पूछने वालों से डरने लगी है, इसलिए उन्हें जेल में डाल रही है।

उन्होंने बताया कि 24 सितंबर 2025 को लद्दाख में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को लेकर हुए प्रदर्शनों के दौरान चार निर्दोष नागरिकों की जान चली गई, 70 से अधिक लोग घायल हुए और 70 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें से कई पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाया गया। आज भी 10 से अधिक लोग जेल में बंद हैं। संजय सिंह ने कहा कि यह वही लद्दाख है जिसने 1948, 1962, 1971, 1999 के कारगिल युद्ध और 2020 के सीमा तनाव में देश के साथ चट्टान की तरह खड़े होकर राष्ट्रभक्ति का परिचय दिया है।

उन्होंने सोनम वांगचुक की पत्नी द्वारा जताई गई आशंकाओं का जिक्र करते हुए कहा कि जेल में उनकी जान को खतरे की बात, लगातार निगरानी और डर का माहौल बनाए जाने के आरोप बेहद गंभीर हैं। संजय सिंह ने कहा कि यह सब संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 की खुली अवहेलना है और यह साबित करता है कि सरकार अब लोकतंत्र से नहीं, दमन से शासन करना चाहती है।

उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि सीमावर्ती और रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र में रहने वाले नागरिकों को डराकर और जेल में डालकर देश की एकता को मजबूत नहीं किया जा सकता। लोकतंत्र की मजबूती संवाद से आती है, दमन से नहीं।

संजय सिंह ने सदन के माध्यम से मांग की कि सोनम वांगचुक को तत्काल रिहा किया जाए, उनके खिलाफ लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को वापस लिया जाए, लद्दाख आंदोलन से जुड़े सभी शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को बिना शर्त रिहा किया जाए, हिरासत में बंद सभी लोगों की सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित की जाए तथा लद्दाख के प्रतिनिधियों से राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची को लेकर तत्काल और सार्थक संवाद शुरू किया जाए।

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