सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी कांड में केंद्रीय मंत्री के बेटे और मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया। मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की विशेष पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने शीर्ष अदालत को बताया कि जब आरोप पत्र दायर किया गया था तब उच्च न्यायालय ने प्राथमिकी पर विचार करने में गंभीर गलती की थी। उन्होंने यह भी प्रस्तुत किया कि उच्च न्यायालय ने प्रदर्शनकारियों को एक वाहन के नीचे कुचलने के कार्य के बजाय गोली के घाव और आग्नेयास्त्रों के उपयोग पर जोर दिया।
उत्तर प्रदेश राज्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि हत्याएं “गंभीर अपराध” थीं, लेकिन उन्होंने कहा कि आरोपी के भागने का जोखिम नहीं था और सबूतों से छेड़छाड़ की कोई संभावना नहीं थी। अक्टूबर 2021 में, लखीमपुर खीरी जिले में हिंसा भड़क उठी, जहां चार किसानों को एक एसयूवी ने कुचल दिया, जब किसान कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे। वहीं घटना के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को 10 फरवरी को जमानत मिल गई।