अडानी इंटरनेशनल स्कूल की छात्रा का मिला राष्ट्रीय सम्मान, वीरांगना झाला बनी सबसे कम उम्र की राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार विजेता

राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार 18 वर्ष से कम आयु के लगभग 25 भारतीय युवाओं और उन मेधावीयों को दिया जाता है जो सभी बाधाओं के खिलाफ अनुकरणीय बहादुरी और वीरता का परिचय देते हैं. प्रतिकूल परिस्थितियों में अदम्य साहस और अप्रत्याशित वीरता का प्रदर्शन करने वाले युवाओं को इस पुरस्कार से नवाजा जाता है.

अहमदाबाद की 7 वर्षीय वीरांगना झाला ने अपने नाम को चरितार्थ करते हुए बेहद साहसिक काम किया. 7 वर्षीय वीरांगना झाला ने अनुकरणीय साहस और सूझ-बूझ का परिचय देते हुए आग लगे हुए मकान में फंसे 60 से अधिक लोगों की जान बचाई. वीरांगना अहमदाबाद में अडानी इंटरनेशनल स्कूल की छात्रा हैं.

उनके इस अनुकरणीय साहस और सूझबूझ के लिए 25 जनवरी को नई दिल्ली में देश भर के अन्य बच्चों के साथ राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके साथ ही वीरांगना झाला सबसे कम उम्र में पहली राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार विजेता बनी हैं. भारतीय बाल कल्याण परिषद द्वारा आयोजित एक समारोह के दौरान, उन्हें 25 जनवरी को नई दिल्ली में देश भर के अन्य बच्चों के साथ ये वीरता पुरस्कार दिया गया.

बता दें कि राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार 18 वर्ष से कम आयु के लगभग 25 भारतीय युवाओं और उन मेधावीयों को दिया जाता है जो सभी बाधाओं के खिलाफ अनुकरणीय बहादुरी और वीरता का परिचय देते हैं. प्रतिकूल परिस्थितियों में अदम्य साहस और अप्रत्याशित वीरता का प्रदर्शन करने वाले युवाओं को इस पुरस्कार से नवाजा जाता है.

अपने अनुभव को साझा करते हुए वीरांगना झाला कहती हैं कि “यह अनुभव बहुत ही शानदार था. मैं एक दशक में देश की सबसे कम उम्र की पुरस्कार विजेता के रूप में सम्मानित महसूस कर रही हूं. दिल्ली में रहने के दौरान इस काम के लिए मुझे कई लोगों से प्रशंसा और प्रोत्साहन के शब्द मिले.” वहीं आग वाली घटना के बारे में जिक्र करते हुए वो कहती हैं कि पिछले साल 7 अगस्त की रात को ये घटना घटित हुई थी. उस वक्त वो 6 साल की थी.

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