लखनऊ: 2022 के जनादेश आने के बाद समाजवादी पार्टी एक मजबूत विपक्ष बनकर उभरी है. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कल ट्वीट कर के यूपी की जनता का आभार जताया और कहा कि हमारी सीटे ढाई गुना हुई है और ये सिद्ध हो गया कि भाजपा की सीटों को कम किया जा सकता है. कल लखनऊ के पार्टी कार्यालय पर हार पर मंथन किया गया. गठबंधन में सपा के साथी ओम प्रकाश राजभर ने भी इस बात पर मंथन किया.
अखिलेश यादव खुद मैनपुरी की करहल सीट से चुनावी मैदान में थे और यहाँ से बम्पर वोटों से जीते हैं, वही अखिलेश यादव आजमगढ़ के सांसद भी हैं. तमाम लहर के बाद भी भाजपा का विजय रथ आजमगढ़ के 10 में से एक भी सीट पर नहीं चला. समाजवादी पार्टी ने सभी की सभी सीटों पर विजय पायी. ये कहना गलत नहीं होगा कि अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र में भाजपा ने कोई कमाल नहीं किया तो ये भाजपा की एक बड़ी विफलता मानी जानी चाहिए.
अब चुकी सपा प्रमुख विधायक के साथ साथ सांसद भी हैं तो किसी एक सीट से उन्हें त्यागपत्र देना होगा. अभी तक कोई ऐसी जानकरी निकल कर सामने नहीं आयी है कि किस सीट से सपा प्रमुख इस्तीफा देंगे. दोनों जगहों पर सपा की अच्छी पकड़ है कही से भी इस्तीफा देने से पूर्व अपने समर्थकों को समझाना एक बड़ी चुनौती है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष के लिए ये भी एक बड़ी चुनौती है.
अखिलेश यादव ने जिस मजबूती के साथ ये विधानसभा चुनाव लड़ा वो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है. 47 सीटों से 125 सीटों तक पहुंचे जो एक बड़ी उपलब्धि है. भाजपा के तमाम बड़े स्टार प्रचारकों के सामने अकेले सपा प्रमुख ने अपनी बातों को जनता के सामने रखा और वोट प्रतिशत बढ़ाने में सफल हुए. जहा एक तरफ भाजपा के बड़े नेता और खुद प्रधानमंत्री मोदी चुनावी मैदान में थे तो वही समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अकेले सबका सामना कर अपनी बातों को मजबूती से रखा भले सत्ता में आने में असफल हुए लेकिन भाजपा की जीत से अधिक तारीफ अखिलेश के हार की है.
जो मजबूती अखलेश यादव ने इस चुनाव में दिखाई है उससे खासा उम्मीद तमाम विपक्ष के नेताओं को है आने वाले 2024 के लोक सभा के चुनाव को लेकर, सपा प्रमुख ने भाजपा के विजय रथ को रोकने के लिए काफी मेहनत की और यही कारण है कि भाजपा की सीटें 2017 के अनुपात में कम हुई है. अखिलेश यादव की मेहनत के कारण ही भाजपा के कई दिग्गज नेता और कई मंत्री समेत केंद्रीय मंत्रीयो को हार का मुँह देखना पड़ा.
अब सवाल अखिलेश यादव के सामने ये है कि कौन सी सीट को छोड़ते हैं और कहा का नेतृत्व लेकर चलते हैं. अगर आजमगढ़ की सीट पर सपा प्रमुख कायम रहते हैं तो ये आने वाले लोक सभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी को मजबूत बनाने में सफलता मिलेगी. विपक्ष के कई पार्टियों को अखिलेश यादव से खासा उम्मीद है.