
Big Breaking: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने SARFAESI अधिनियम के तहत जिलाधिकारी (DM) और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) को एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है। न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति बृज राज सिंह की पीठ ने स्पष्ट किया कि SARFAESI अधिनियम 2002 की धारा 14 के तहत जब लेनदार को आदेश प्राप्त होता है, तो उसे इधर-उधर न भगाकर, आदेश का निष्पादन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी जिलाधिकारी और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की है।
कब्जा लेना डीएम और सीजेएम का दायित्व
न्यायालय ने कहा कि SARFAESI अधिनियम की धारा 14 के आदेश के अनुसार, यह डीएम और सीजेएम का वैधानिक दायित्व है कि वे सुरक्षित परिसंपत्तियों और दस्तावेजों को अपने कब्जे में लें और उन्हें सुरक्षित लेनदार को अग्रेषित करें। इसके लिए कोई अन्य प्रवर्तन या निष्पादन मामला पंजीकरण की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि आदेश प्राप्त होने के बाद यह निष्पादन सुनिश्चित करना डीएम और सीजेएम का दायित्व है।
न्यायालय का निर्देश
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जब आदेश प्राप्त हो जाए, तो लेनदार को आदेश के निष्पादन के लिए इधर-उधर या पुलिस कर्मियों के पास भागने की आवश्यकता नहीं है। इसके बजाय, यह जिम्मेदारी जिलाधिकारी और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की है कि वे आदेश का निष्पादन सुनिश्चित करें।
न्यायिक मजिस्ट्रेट पर सीधा दबाव
इस आदेश के बाद SARFAESI अधिनियम के तहत लेनदारों को राहत मिल सकती है, क्योंकि अब आदेश के निष्पादन के लिए जिलाधिकारी और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पर सीधा दबाव रहेगा, जिससे प्रक्रिया में गति आ सकती है और लेनदारों को उनके अधिकार प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।