बड़ी खबर : ईनामी इंटरनेशनल गौतस्कर अकबर बंजारा भाई समेत पुलिस एनकाउंटर में ढेर, भारत विरोधी उग्रवादियों को करता था फंडिंग..

मेरठ के इंटरनेशनल गौतस्करों को असम पुलिस ने एक सर्च ऑपरेशन के दौरान पुलिस एनकाउंटर में ढेर कर दिया है. दोनो असम राज्य से 2 लाख रूपये के ईनामी बदमाश थे और राज्य के लिस्टेड क्रिमिनल्स में शामिल थे. 12 अप्रैल को मेरठ पुलिस ने गौकशी के एक मामले में इनकी गिरफ्तारी की थी. अदालत के आदेश के बाद इन्हें असम पुलिस के हवाले किया गया था

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मेरठ के फलावदा कस्बे का निवासी अकबर बंजारा, सलमान बंजारा और शमीम बंजारा तीनों सगे भाई थे. अकबर बंजारा असम राज्य का वान्टेड अपराधी था. केस संख्या में असम पुलिस को इसकी तलाश थी. असम पुलिस ने अकबर की गिरफ्तारी के लिए 2 लाख रूपये का ईनाम भी घोषित कर रखा था. तीनों भाई गौतस्करी के अलावा भारत विरोधी गतिविधियों में भी शामिल थे.

12 अप्रैल को मेरठ पुलिस ने अकबर बंजारा और उसके दो भाइयों को मुठभेड़ में गिरफ्तार किया था

मेरठ में हुई मुठभेड़ में पकड़े गये थे तीनों भाई-
12 अप्रैल को फलावदा पुलिस और मेरठ एसओजी ने तीनों भाईयों की गिरफ्तारी एक गौकशी के मामले में की थी. गौकशी के हथियार और बहुत सा सामान भी इनके पास से बरामद किया गया था. इनका जब आपराधिक इतिहास खंगाला गया को असम पुलिस से वांछित होने की जानकारी मिली. यूपी पुलिस ने असम राज्य की पुलिस को इनकी गिरफ्तारी की जानकारी दी थी. असम पुलिस मेरठ आई और अदालत के आदेश पर बी वारंट के जरिये इन्हें असम की कोकराझार अदालत में पेश किया गया.

11 अप्रैल को बंजारा के गैंग के बाबू खां और रंजीत छीपी पुलिस ने एनकाउंटर में पकड़े थे

अचानक मेरठ पुलिस की नजर में कैसे आया अकबर बंजारा-
11 अप्रैल को फलावदा पुलिस ने गौतस्करों के एक गैंग के साथ मुठभेड़ की जिनके पास से बड़ी तादात में गौवंश और गौकशी का सामान बरामद हुआ था. इस मुठभेड़ में फलावदा का बाबू खां और पंजाब का रंजीत छीपी गिरफ्तार किया गया. पुलिस मुठभेड़ के दौरान अकबर बंजारा, उसका भाई सलमान और तीसरा आरोपी इकबाल मौके से फरार हो गया. पुलिस ने इनकी शिनाख्त की और इनकी तलाश में जुट गयी. 24 घंटे बाद पुलिस और बंजारा गैंग के बीच मुठभेड़ में जेल चुंगी के पास से अकबर,सलमान और शमीम की गिरफ्तारी की गयी.

असम पुलिस के एनकाउंटर में मारे गये अकबर बंजारा और उसका भाई सलमान

असम में ऐसे हुआ अकबर और उसके भाई का एनकाउंटर-
जानकारी के मुताबिक अकबर और सलमान से कोकराझार पुलिस को बरामदगी करानी थी जिसके लिए उन्हें कोर्ट से इन दोनो बदमाशों की 5 दिन की रिमांड हासिल हुई थी. इन बदमाशों और इनके कारोबार को संरक्षण देने वाले उग्रवादियों ने बरामदगी के लिए जाते वक्त यमदुआर नामक स्थान पर पुलिस का रास्ता रोका और दोनो बदमाशों को पुलिस अभिरक्षा से छुड़ा लिया. पुलिस और उग्रवादियों के बीच हुई जबाबी फायरिंग में अकबर और सलमान मारे गये है. पुलिस ने मौके से भारी तादात में अत्याधुनिक हथियारों का जखीरा भी बरामद किया है.

नार्थ-ईस्ट के राज्यों में चलता था अकबर बंजारा का सिडिंकेट-
अकबर, सलमान और उनका तीसरा भाई शमीम लंबे समय से नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में गौतस्करी के लिए सक्रिय थे. अपराध की दुनियां में इनका कद पुलिस से मिली इस जानकारी से आंका जा सकता है कि असम में गौतस्करों के दो सिडिंकेट चलते है जिसमें एक रवि रेड्डी और दूसरा अकबर बंजारा का है. पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक असम, मेघालय, त्रिपुरा, नागालेंड समेत कई राज्यों में गौतस्करी के अलावा अकबर बंजारा का सिडिंकेट बांग्लादेश तक गौमांस की सप्लाई करता था.

लक्जरी गाड़ियां और बेशकीमती जमीनों के मालिक है बंजारा ब्रदर्स-
जानकारी के मुताबिक कुछ ही सालों में अकबर और उसके भाईयों ने इस कारोबार से सैकड़ो करोड़ रूपये की कमाई की है. इनकी कुल कमाई करीब 300 करोड़ आंकी गयी है. इनपुट्स के आधार पर आयकर विभाग को भी इनकी अर्जित सम्पत्ति की जांच के लिए आधिकारिक रूप से लिखा गया था. खुफिया से मिली जानकारी के मुताबिक तीनों भाई अपराध और गौतस्करी के अलावा देशविरोधी गतिविधियों में भी लिप्त थे. असम सरकार ने अकबर बंजारा पर दो लाख का ईनाम घोषित किया था.

हवाला से लेकर उग्रवाद को बढ़ावा देने में थी बंजारा की भूमिका-
अकबर बंजारा का कनैक्शन देशविरोधी गतिविधियों को फलने-फूलने के लिए पैसे की सप्लाई से भी था. हवाला के जरिये देशविरोधी ताकतों से आने वाली रकम को यह जमीन तक पहुंचाने का काम करते थे. पिछले दिनों असम में हुई एक उच्चस्तरीय जांच के बाद से अकबर बंजारा सरकार के निशाने पर था. फिलहाल मेरठ में इस बात की जांच जारी है कि इतने बड़े सिडिंकेट का आपरेटर के तार मेरठ से जुड़े थे लेकिन मेरठ पुलिस को इसकी जानकारी तक नही थी, ऐसा कैसे मुमकिन है.

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