
सपा नेता व पूर्व मंत्री आजम खान को रामपुर की सेशन कोर्ट से राहत मिल गई है। इस मामले में FIR करवाने वाले सरकारी अधिकारी अनिल चौहान ने कोर्ट में बयान दिया है कि, ‘जो मैंने तहरीर लिखवाई थी, वो जिला निर्वाचन अधिकारी (DM) के दबाव में लिखवाई थी।
जिसके बाद कोर्ट की तरफ से सुनाये गए ऑर्डर में लिखा है कि, ‘अगर DM के विरुद्ध अभद्र टिप्पणी की थी तो वे खुद उचित कार्रवाई कर सकते थे। उन्होंने खुद ऐसा न करके अनिल चौहान पर दबाव डालकर ये मुकदमा दर्ज करवाया।’ कोर्ट ने हार्डडिस्क को प्राथमिक साक्ष्य नहीं माना हैं।
कोर्ट के मुताबिक प्राथमिक साक्ष्य वो कैमरा था, जिससे आजम खान के भाषण की वीडियो रिकॉर्डिंग हुई। लेकिन उस कैमरे की चिप तभी फॉर्मेट की जा चुकी थी। कोर्ट ने माना कि ये भाषण की पूरी स्क्रिप्ट नहीं है। उसके भाषण के अंशों को कुछ जगह से जोड़-जोड़कर शिकायत तैयार कराई गई है।
इसी के साथ कोर्ट ने जिस हेट स्पीच मामले में 3 साल की साल की सजा हुई थी और विधानसभा की सदस्यता रद्द हुई थी. उसी केस में रामपुर कोर्ट ने आजम खान को बरी कर दिया।
आपको बता दें कि 2019 में MP/MLA कोर्ट ने पहले इसी मामले में आजम को 3 साल की सजा सुनाई थी. इसके बाद आजम की विधानसभा सदस्यता चली गई थी. जिसके बाद चुनाव में वहां BJP के आकाश सक्सेना विधायक बने हैं।