बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने रविवार यानी 14 अप्रैल को बाबा साहेब की जयंती पर उन्हें शत्-शत् नमन् व अपार श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए विपक्ष पर जबरदस्त हमला किया है। इस दौरान उन्होंने कहा कि संकीर्ण चुनावी स्वार्थ के लिए बाबा साहेब का जितना दिखावटी सम्मान उतना ही ज्यादा उनके अनुयायियों की उपेक्षा व तिरस्कार जातिवादी पार्टियों व उनकी सरकारों की ‘मुँह में राम बगल मे छुरी’ की कहावत को चरितार्थ करने वाली पुरानी परंपरा है, जो आज भी लगातार जारी है और जिस छलावे से सावधानी बहुत जरूरी है।
वैसे तो देश में हो रहे 18वें लोकसभा आम चुनाव के कारण संविधान निर्माता बोधिसत्व भारत रत्न बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर का जन्मदिन बी.एस.पी. द्वारा देश भर में सामूहिक तौर पर परम्परागत धूमधाम से नहीं मना कर केवल अपने-अपने तौर पर ही मनाया, मगर BSP सुप्रीमो मायावती ने इस अवसर पर देश व खासकर उत्तर प्रदेश के बहुजन समाज के लोगों को बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर का वह मिशनरी वाक्य याद दिलाया कि अपनी एकजुटता व राजनीतिक शक्ति के बल पर सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करो जिससे तरक्की के तमाम बन्द दरवाजे खुल जाते हैं।
इस दौरान मायावती ने कहा कि, “बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर का इस महान उद्देश्य के लिए आजीवन कड़ा संघर्ष व उनके इस मिशनरी संदेश का वर्तमान लोकसभा आम चुनाव के समय में बहुत महत्व है क्योंकि जातिवादी पार्टियों की यहाँ अब तक रही सरकारों में न केवल उनके कल्याणकारी संविधान को उसकी मंशा के हिसाब से सही से लागू नहीं करके अर्थात् उसकी उपेक्षा करके गरीब व बहुजन – विरोधी काम लगातार किया है, बल्कि षड्यंत्र करके इन वंचितों के सरकारी नौकरी व शिक्षा में आरक्षण सहित इनके हित व कल्याण के कानूनी व संवैधानिक अधिकारों को भी धीरे-धीरे एक-एक करके निष्क्रिय व निष्प्रभावी बना दिया है, जबकि BSP की यूपी में रही सरकारों में सामान्य वर्ग की सरकारी नौकरी पर लगी पाबंदी को हटाकर सर्व समाज को रोजगार के अवसर दिये गये तथा आरक्षण के बैकलॉग पदों को विशेष अभियान चलाकर भरा गया जिससे लाखों परिवारों को लाभ मिला और उन्हें बेरोजगारी के अभिशाप से मुक्ति मिली।”
उन्होंने आगे कहा कि, “इसके विपरीत, कांग्रेस का ‘गरीबी हटाओ’ का नारा सही नीयत व नीति के अभाव में केवल चुनावी स्लोगन बनकर पूरी तरह से विफल रहा और अब बहुजनों का यही बुरा हाल वर्तमान में बीजेपी सरकार में भी हो रहा है जब देश में खासकर आसमान छूती महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी व पिछड़ेपन का अभिशाप लोगों के जीवन को बद से बदतर बना रहा है, जबकि सरकार की गलत नीति व कार्यक्रमों के कारण केवल कुछ मुट्ठी भर अमीरों की अमीरी लगातार बढ़ती जा रही है, हालाँकि बाबा साहेब की सोच व उनका संविधान देश में पूंजीपतियों का नहीं बल्कि देश की सम्पत्ति / पूंजी में विकास सुनिश्चित करना चाहता है ताकि इसका लाभ सभी को बराबरी के साथ मिलकर देश की गरीबी व पिछड़ापन दूर हो।”