बहुजन समाज पार्टी में दिग्गज कहे जाने वाले मेरठ के हाजी याकूब कुरैशी के परिवार को इस बार पार्टी ने हाशिये पर डाल दिया है. हाजी याकूब स्वास्थ्य के चलते इस बार चुनाव मैदान में नही है. लेकिन पार्टी ने हाजी याकूब की परम्परागत सीट से टिकट मांग रहे हाफिज इमरान कुरैशी को अपने प्रत्याशियों की लिस्ट से बाहर कर दिया है. मेरठ दक्षिण सीट से बसपा हाईकमान ने कुंवर दिलशाद अली को टिकट दी है.
मेरठ दक्षिण सीट पर 2017 में विधानसभा चुनाव लड़े हाजी याकूब बीजेपी के डॉ0 सोमेन्द्र तौमर से हार गये थे. 2019 में पार्टी ने उन्हें लोकसभा सीट से भी प्रत्याशी बनाया लेकिन करीबी अंतर से वह चुनाव हार गये. यह माना जा रहा था कि 2019 का चुनाव याकूब का आखिरी चुनाव है. इसके बाद से हाजी याकूब सक्रिय राजनीति से गायब है.
बहुजन समाज पार्टी ने मेरठ की 7 विधानसभा सीटों में से 6 सीट पर अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है. सरधना से जाट समाज के नेता संजीव धामा को प्रत्याशी बनाया गया है. हस्तिनापुर की आरक्षित सीट से संजीव जाटव बसपा प्रत्याशी होगें. मेरठ दक्षिण से कुंवर दिलशाद अली, किठौर से कई शिक्षण संस्थानों के मालिक कुशलपाल उर्फ केपी मावी को टिकट दिया गया है. केपी मावी नसीमुद्दीन सिद्दीकी के बेहद खास माने जाते है और उनके पार्टी छोड़ने के बाद वह नसीमुद्दीन के साथ कांग्रेस में चले गये थे.
जाट-मुस्लिम प्रभाव वाली सिवालखास सीट से पुराने बसपाई नन्हें मियां पर पार्टी हाईकमान ने विश्वास जताया है और उन्हें चुनाव मैदान में प्रत्याशी के तौर पर उतारा है. मुस्लिम प्रत्याशी उतारने के पीछे की वजह यह है कि पार्टी यहां सपा-रालोद गठबंधन का गणित बिगाड़ना चाहती है. मेरठ कैंट से ट्रांसपोर्टर अमित शर्मा को बसपा ने प्रत्याशी बनाया है. वैश्य-पंजाबी और जाट प्रभाव वाली इस सीट पर ब्राह्मण प्रत्याशी चुनावी पंडितों के गले नही उतर रहा है.
बसपा ने फिलहाल मेरठ शहर सीट पर कोई प्रत्याशी नही उतारा है. इस सीट के लिए बाकी पार्टियों के प्रत्याशियों का इंतजार किया जा रहा है. इस सीट पर 52 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम किसी भी प्रत्याशी की किस्मत का सितारा बुंलद कर सकता है. समाजवादी पार्टी के इकलौते दबदबे वाली इस सीट को लेकर भाजपा और बसपा चुनाव जीतने के बजाय खेल बिगाड़ने में ज्यादा जुटी हुई है. वैसे इस बार सपा के सिटिंग विधायक रफीक अंसारी के लिए जीत की राह आसान नही होगी.