
लखनऊ- नवरात्रि का 5वां दिन स्कंदमाता की पूजा को समर्पित है. स्कंदमाता मां नवदुर्गा का पांचवां रूप है. भगवान शिव के पुत्र भगवान कार्तिकेय के बारे में हर कोई जानता है. जब देवी पार्वती भगवान कार्तिकेय (भगवान स्कंद) की माता बनीं, तो उन्हें स्कंदमाता के नाम से जाना जाने लगा. इन्हें पद्मासन या स्कंद देवी के नाम से भी जाना जाता है.
देवी स्कंदमाता एक क्रूर शेर की सवारी करती हैं और कई सिर वाले बच्चे कार्तिकेय को अपनी गोद में रखती हैं. अभय मुद्रा में देवी के दाहिने हाथ से चार हाथ हैं. उनके माथे पर भगवान शिव का एक अर्धचंद्र भी है. वह कमल के फूल पर विराजमान हैं, उसी के कारण स्कंदमाता को देवी पद्मासना के नाम से भी जाना जाता है. स्कंदमाता को लाल रंग के फूल प्रिय हैं.
स्कंदमाता का पूजा मंत्र
मंत्र ‘ॐ देवी स्कंदमतयै नमः
स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो स्कन्द माता। पांचवां नाम तुम्हारा आता॥
सबके मन की जानन हारी। जग जननी सबकी महतारी॥
तेरी जोत जलाता रहूं मैं। हरदम तुझे ध्याता रहूं मै॥
कई नामों से तुझे पुकारा। मुझे एक है तेरा सहारा॥क
ही पहाड़ों पर है डेरा। कई शहरों में तेरा बसेरा॥
हर मन्दिर में तेरे नजारे। गुण गाए तेरे भक्त प्यारे॥
भक्ति अपनी मुझे दिला दो। शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो॥
इन्द्र आदि देवता मिल सारे। करे पुकार तुम्हारे द्वारे॥
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए। तू ही खण्ड हाथ उठाए॥
दासों को सदा बचाने आयी। भक्त की आस पुजाने आयी॥