
वाराणसी। महाकुंभ के बीच दो संस्कृतियों के महासमागम के कार्यक्रम काशी – तमिल संगमम् के तृतीय संस्करण कार्यक्रम का प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को नमो घाट से शुभारंभ किया। समारोह का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान एवं केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण व संसदीय कार्य राज्य मंत्री डॉ एल. मुरुगन की उपस्थिति में बटन दबाकर किया। बता दें कि काशी तमिल संगमम् का तृतीय संस्करण महर्षि अगस्त्य को समर्पित किया गया है। ऐसे में इनके जीवन चरित्र पर आधारित एक चित्र प्रदर्शनी का भी आयोजन नमो घाट पर किया गया हैं, जिसका अवलोकन मुख्यमंत्री के साथ केंद्रीयमंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने किया। इस कार्यक्रम को करवाए जाने को लेकर अपने उद्बोधन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के प्रेरणा से काशी तमिल संगमम् कार्यक्रम का लगातार तीसरी बार वाराणसी में हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश को पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण को जोड़ने का कार्य जो कभी शंकराचार्य ने किया था, वहीं कार्य आज के परिवेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘काशी तमिल संगमम्’ कार्यक्रम के माध्यम से एक भारत श्रेष्ट भारत की परिकल्पना को साकार कर रहे है।



1200 से अधिक आगंतुक तमिलनाडु से 6 जत्थों में आएंगे काशी, केंद्रीय मंत्री ने सीएम को बताया कार्यक्रम की रूप रेखा
नमो घाट पर उद्घाटन के दौरान अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने महाकुंभ को लेकर सीएम योगी का आभार व्यक्त करते हुए काशी – तमिल संगमम् 3.o कार्यक्रम की रूप रेखा बताया। उन्होंने कहा कि उन्होंने बताया कि शनिवार को पहले दिन विद्यार्थियों, शिक्षक एवं लेखकों का दल काशी आया हैं। अभी आगे आने वाले जत्थों में विभिन्न क्षेत्रों के लोगो सहित नवाचार के लोग भी आयेगे। संस्कृत की तरह तमिल भी देश की सबसे पुरानी भाषा हैं। जो सांस्कृतिक एकता दिखाने का सबसे बड़ा मिसाल हैं। तमिलनाडु में कोई ऐसा मंदिर नहीं जिसमें श्री काशी विश्वनाथ महादेव नहीं विराजते। इस बार के केंद्रीय बजट में पहली बार प्राविधान किया है कि एसआई के माध्यम से देश की महान ग्रन्थों को संरक्षित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 2047 तक भारत को विकसित बनाने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणा को अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए मूर्त रुप देना है। उन्होंने कहा कि अतिथियों को इस बार बाबा विश्वनाथ दर्शन, महाकुंभ मेला तथा अयोध्या स्थित राममंदिर में दर्शन करने को मिलेगा। वही इस बार का महाकुंभ न केवल भारतीय बल्कि पूरे दुनिया के सनातनियों में नयी ऊर्जा का संचार किया है। तमिल के पांड्या साम्राज्य द्वारा काशी के बारे में प्राचीन में उल्लिखित शब्दों को उल्लेख करते हुए एक भारत-श्रेष्ठ भारत की अवधारणा को चरितार्थ किया। उन्होंने बताया की इस बार छह ग्रुप में तमिलनाडु से अतिथियों का आगमन होगा जिनको काशी, प्रयाग तथा अयोध्या की संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिलेगा। इस बार तमिल समागम अगस्त्य ऋषि पर पूरी तरह फोकस रहेगा जिनकी तिथि को सरकार राष्ट्रीय सिद्ध दिवस के रूप में मनाती है उन्होंने बजट में उल्लेखित नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी तथा 22 भाषाओं के डिजिटल कुम्भ के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने प्रधानमंत्री के पंच प्रण को पुनः दोहराते हुए 2047 तक विकसित भारत की बात कही तथा राष्ट्रीय हित ही हमारी हित है को दोहराया। बता दें कि 15 फरवरी से 26 फरवरी तक यह कार्यक्रम चलेगा। इस आयोजन की जिम्मेदारी आईआईटी मद्रास और बीएचयू निर्वहन करता हैं।



महाकुंभ के पलट प्रवाह की स्थिति को सीएम ने हवाई सर्वे कर देखा, बाबा श्री काशी विश्वनाथ का लिया आशीर्वाद
वाराणसी में एक दिवसीय दौरे पर पहुंचे सीएम योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले वाराणसी पहुंच हवाई सर्वे कर महाकुंभ के पलट प्रवाह से शहर में भीड़ की स्थिति की जानकारी ली। वही इसके पश्चात पुलिस लाइन हेलीपैड से नमो घाट के लिए सड़क मार्ग से निकले और बजड़े पर सवार होकर गंगा नदी के रास्ते बाबा श्री काशी विश्वनाथ धाम पहुंचे। बजड़े पर सवार होने के दौरान घाटों पर उमड़ी भारी भीड़ द्वारा मुख्यमंत्री का हाथ हिलाकर तथा उद्घोष के साथ स्वागत किया। मुख्यमंत्री ने काशी विश्वनाथ मंदिर में विधि- विधान से बाबा विश्वनाथ का पूजन किया गया। वही बाबा श्री काशी विश्वनाथ धाम में श्रद्धालुओं से व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी ली। जबकि बाबा श्री काशी विश्वनाथ धाम में दर्शन करने आए बच्चों को दुलार करते हुए उपहार स्वरूप चॉकलेट दिया।