भ्रष्टाचार या लापरवाही: मीट माफिया हाजी याकूब की अवैध गोश्त फैक्ट्री पर आखिर क्यों रूक जाता है सीएम योगी का बुलडोजर?

हाजी याकूब के मीट कारोबार की बुनियाद ही कानून विरूद्ध कार्यो पर टिकी है. मीट का विदेश तक कारोबार करके सैकड़ो करोड़ कमाने वाले याकूब की फैक्ट्री का जब निर्माण हुआ तो इसके लिए मानचित्र तक प्राधिकरण से एप्रूव्ड नही कराया गया. बेहद आलाशीन और जंबो फैक्ट्री सिस्टम को ताक पर रखकर खड़ी की गयी. इस फैक्ट्री में ऐशगाह से लेकर मस्जिद तक तामीर की गयी है. इसी अवैध फैक्ट्री को कारोबारी आधार बनाकर याकूब को प्रशासन, पुलिस और सरकार ने मीट कारोबार का लायसेंस दिया. इस लायसेंस के बूते याकूब ने बरसों तक लाखों जानवरों को काटकर उनका मीट विदेशों में सप्लाई किया और अपनी आर्थिक रीढ़ इस्पात की बना ली. इस पैसे से याकूब ने सियासत में जगह बनाई और अपने अवैध कारोबार को आगे बढ़ाया. 4 साल पहले योगी आदित्यनाथ की सरकार का सिस्टम हाजी याकूब के इस नैक्सस को भेदने में नाकारा साबित रहा. याकूब ने बंद पड़ी फैक्ट्री में बिजली कनैक्शन से लेकर कारोबार तक, जो चाहा हासिल किया. योगी आदित्यनाथ सरकार के अफसर उसकी करतूतों पर परदा डालने का काम करते रहे. भ्रष्टाचार का जिन्न इतना बड़ा होता है कि यहां एक बेहद मजबूत सरकार की मंशा भी कमजोर पड़ गयी.

मेरठ का मीट माफिया हाजी याकूब कुरैशी एक बार फिर योगी आदित्यनाथ की सरकार के सिस्टम को गच्चा देने में कामयाब हुआ है. बरसों से मेरठ में खड़ी अवैध फैक्ट्री पर विकास प्राधिकरण बुलडोजर चला पाता उससे पहले ही याकूब ने हाईकोर्ट से स्टे ऑर्डर हासिल कर लिया है. अवैध फैक्ट्री में गोश्त के काले धंधे पर छापेमारी से लेकर हाईकोर्ट से स्टे ऑर्डर लेने में हाजी याकूब को 20 दिन का वक्त मिला. इस दौरान ध्वस्तीकरण के नाम पर मेरठ विकास प्राधिकरण के बयानवीर अफसर बुलडोजर का रूख याकूब की फैक्ट्री की ओर घुमाने के बजाय लंबी-लंबी डींगें हांकते रहे.

मेरठ विकास प्राधिकरण की मेहरबानी से कायम है याकूब की अवैध मीट फैक्ट्री

यूपी हाईकोर्ट में हाजी याकूब कुरैशी ने कथित अवैध फैक्ट्री के ध्वस्तीकरण रोके जाने के लिए याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट में इस याचिका पर 13 अप्रैल को सुनवाई होनी थी. लेकिन सुनवाई टल गयी और अगली तारीख 20 अप्रैल नियत की गयी थी. 20 अप्रैल को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने हाजी याकूब को राहत देते हुए फैक्ट्री के ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी है. सुनवाई की अगली तारीख 26 अप्रैल है.

याकूब की फैक्ट्री का एक हिस्सा

हाजी याकूब की बंद पड़ी अवैध फैक्ट्री में गोश्त का बड़ा कारोबार-
यूपी सरकार के पूर्वमंत्री और मेरठ के कद्दावर मीट माफिया हाजी याकूब की हापुड़ रोड स्थित फैक्ट्री पर 31 मार्च को छापा मारा गया था. इस छापे में बड़ी तादात में बंद पड़ी फैक्ट्री से गोश्त बरामद किया गया. पुलिस ने करीब 10 लोगो को इस मामले में जेल भी भेजा था. हाजी याकूब, उनकी पत्नी और दो बेटों को भी इस केस में आरोपी बनाया गया था. पुलिस को हाजी याकूब और उनकी फैमिली की तलाश है लेकिन अभी तक किसी पर इनाम की घोषणा नही हुई है.

पुलिस ने अपनी तफ्तीश में इस केस में याकूब की फैक्ट्री के मैनेजर समेत 3 और लोगो के नाम बढ़ाये थे. पुलिस ने उनकी तलाश भी शुरू की है. पुलिस कोर्ट से आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट हासिल कर चुकी है. आरोपियों को हाईकोर्ट से राहत न मिल सके इसके लिए पुलिस की ओर से हाईकोर्ट में कैवियट भी दाखिल की गयी है.

छापे के दौरान फैक्टी के गेट पर तैनात पुलिसबल

4 साल से लगातार कुंभकर्णी नींद में है मेरठ विकास प्राधिकरण-
विकास प्राधिकरण की कार्रवाई पर 4 साल पहले भी सवाल खड़े हुए थे. याकूब की फैक्ट्री का निर्माण अवैध पाये जाने के बाबजूद उसके ध्वस्तीकरण के लिए प्राधिकरण ने कोई कदम नही उठाया. इस दौरान हाजी याकूब कमिश्नर से लेकर शासन और फिर हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीमकोर्ट तक अपील करता रहा. पहले हुई कागजी कार्रवाई में मामला सुप्रीमकोर्ट की सुनवाई में है. लेकिन इसमें विकास प्राधिकरण की पैरवी बेहद लचर है.

हापुड़ रोड पर अल्लीपुर गांव में है हाजी याकूब की फैक्ट्री

याकूब को नोटिस देने में लगाया 8 दिन का समय-
हालिया कार्रवाई में भी प्राधिकरण की लापरवाही देखने को मिली है. 31 मार्च को छापेमारी के बाद प्राधिकरण ने इस अवैध फैक्ट्री से जुड़े तथ्य जानने के लिए फिर से जांच कमेटी गठित की जो पहले से ही प्राधिकरण के कागजों में अवैध है और उसकी सुनवाई सुप्रीमकोर्ट में लंबित है. इस बार नोटिस जारी करने में एमडीए ने 8 दिन का वक्त लगाया. जिसके बाद हाजी याकूब को नोटिस के जबाब के लिए 15 दिन की मोहलत दी गयी.

नोटिस मिलते ही याकूब हाईकोर्ट की शरण में चला गया और प्राधिकरण में बड़ी-बड़ी बातें करने वाले अफसरों की कार्रवाई का बुलडोजर हाशिये पर खड़ा रह गया. नोटिस देते वक्त प्राधिकरण के वीसी ने जल्द ही ध्वस्तीकरण के दावे किये थे लेकिन सारे दावे चकनाचूर हो गये. पहले हुई कार्रवाई के चार साल में प्राधिकरण ध्वस्तीकरण के इस मामले का निस्तारण तक नही करा सका.

वीसी मृदुल चौधरी आईएएस है और सरकार ने उन्हें इस बीमार प्राधिकरण के इलाज के लिए भेजा था लेकिन सरकार की उम्मीदों पर खरे नही उतर सके वीसी

प्राधिकरण के वीसी सरकार की मंशा के खिलाफ क्यों
मेरठ विकास प्राधिकरण में मृदुल चौधरी भी लंबे समय से उपाध्यक्ष है लेकिन योगी आदित्यनाथ सरकार की मंशा के अनुरूप याकूब की अवैध फैक्ट्री मामले में कार्रवाई न होना बहुत से सवाल खड़े करता है. सवाल यह कि क्या याकूब के रसूख हर सरकार के अफसरों पर बराबर प्रभावी होते है. 24 घंटे पहले प्राधिकरण में कमिश्नर की छापेमारी में वर्तमान वीसी के नेतृत्व की लापरवाहियां भी सामने आयी है.

हाजी याकूब की कोठी भी अवैध निर्माण के दायरे में-
मीट माफिया हाजी याकूब की शाहपीर गेट स्थित कोठी भी प्राधिकरण के मानचित्र नियमों के विरूद्ध है. बेहद घनी आबादी वाले इलाके में स्थित इस कोठी में एक बड़ा बेसमेंट तैयार किया गया है. शिकायत के बाद इस मामले में भी प्राधिकरण के अफसर केवल नोटिस देने की कार्रवाई तक ही सीमित रहे. कई साल बाद फिर से नोटिस जारी किये गये है. आसपास मकानों से घिरी इस कोठी में सड़क बेहद संकरी है फिर भी बिना मानचित्र के कोठी का निर्माण हो गया और प्राधिकरण के अफसर सोते रहे.

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