
Delhi: भारत सरकार किसानों को अधिक समर्थन देने के लिए आक्रामक तरीके से तूर, उरद और मसूर (लेंटिल) की खरीद शुरू करने जा रही है। इसके तहत दो सरकारी सहकारी संस्थाओं – नाफेड और एनसीसीएफ को निर्देश दिए गए हैं कि वे किसानों से इन दालों की खरीदारी तेजी से शुरू करें, ताकि किसानों को यह विश्वास दिलाया जा सके कि उनकी उपज सरकार द्वारा खरीदी जाएगी। यह कदम किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए उठाया गया है ताकि वे अधिक दालों का उत्पादन कर सकें।
21 लाख किसानों को किया पंजीकृत
सूत्रों के अनुसार, कृषि और उपभोक्ता मामले मंत्रालयों और अन्य संबंधित अधिकारियों की एक उच्चस्तरीय बैठक में यह निर्देश जारी किए गए। इन दोनों संस्थाओं ने महाराष्ट्र, कर्नाटका, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे प्रमुख दाल उत्पादन वाले राज्यों में लगभग 21 लाख किसानों को पंजीकृत किया है, ताकि बुवाई सीजन से पहले उनकी उपज खरीदी जा सके।
उचित मूल्य पर अपनी उपज बेच सकेंगे
सरकार का लक्ष्य यह है कि वह उरद, तूर और मसूर की पूरी उपज खरीदें, क्योंकि इन दालों का देश में पर्याप्त उत्पादन नहीं हो पाता और उन्हें आयात करना पड़ता है। इससे किसानों को उपज बेचने में कोई समस्या नहीं होगी और वे उचित मूल्य पर अपनी उपज बेच सकेंगे। इसके अलावा, सरकार अब केवल न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर ही नहीं, बल्कि मंडी के दरों के करीब भी दालों की खरीद करेगी।
तूर की मंडी में कीमतें MSP से नीचे
इसके साथ ही, कृषि मंत्रालय ने एक “डायनामिक मिनिमम अस्योरड प्रोक्योरमेंट प्राइस” (MAPP) योजना को मंजूरी दी है, जिसके तहत सरकार तूर और उरद की खरीद मंडी में पिछले तीन दिनों की औसत कीमतों पर करेगी। पिछले दो वर्षों में सरकार इन दालों की खरीद नहीं कर पाई थी क्योंकि मंडी में इनकी कीमत MSP से ऊपर थी, लेकिन अब उम्मीद है कि उत्पादन में वृद्धि के कारण तूर की मंडी में कीमतें MSP से नीचे आ सकती हैं।
घरेलू उत्पादन में कमी
इसके अलावा, सरकार ने 31 मार्च 2026 तक तूर दाल के आयात को मुफ्त करने का फैसला लिया है ताकि कीमतों पर नियंत्रण रखा जा सके। यह कदम घरेलू उत्पादन में कमी और दालों की बढ़ती मांग को देखते हुए लिया गया है। यह कदम न केवल किसानों के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह देश को दालों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।