दीपों के पर्व दीपावली की हो गई शुरुआत, बाजारों से मिट्टी के कारीगरों की बंधी आस

दीपों के पर्व दीपावली के त्यौहार की शुरुआत हो गई है। ऐसे में मिट्टी के कारीगर अपनी मेहनत को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं।

दीपों के पर्व दीपावली के त्यौहार की शुरुआत हो गई है। ऐसे में मिट्टी के कारीगर अपनी मेहनत को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं। बिजली की झालरों के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक चीजों के बीज मिट्टी के दिए बाजारों में जोरों से बिक रहे हैं। अगर मिट्टी के कारीगरों की बात की जाए तो यह लोग भी अन्य लोगों की तरह दीपावली के त्यौहार से काफी उम्मीद रखते हैं। बिजली की झालरों की वजह से मिट्टी के दिओं की बिक्रि कम हुई है।

मिट्टी के दिए कारीगरों की जी-तोड़ मेहनत के दम पर तैयार होते हैं। मिट्टी के दिए करवे और दीपावली के अवसर पर तैयार मिट्टी के अन्य सामान जिनसे लोगों के घर रोशन होते हैं। लेकिन बीते पिछले कई सालों से दीपावली के अवसर पर बाजार में बिजली की झालरों, बिजली के दियों तथा चाइनीज झालरों ने इन कुम्हारों की चाक की रफ्तार को धीमा कर दिया है। 1 साल में एक बार ही दीपावली का त्यौहार आता है और इस त्यौहार के समय ही मिट्टी के दिए-पुरुए, हठली, करवे आदि की बिक्री से ही इन गरीब मिट्टी के कारीगरों एक परिवार को आस बंधी रहती है।

दीपावली पर दिये मिट्टी के सामान बनाने की तैयारी दीपावली से काफी पहले शुरु हो जाती है। कुम्हार दीपावली के अवसर पर मिट्टी से छोटे चिराग, बड़े चिराग, हठली, दीए पुरवे आदि तैयार करते हैं। बिजली की झालरों की वजह से मिट्टी के दिओं की बिक्रि कम हुई है। जिस वजह से कुम्हारों की चाक की रफ्तार धीमी हो गई है।

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