
लखनऊ; 29 मई को होने वाले विधानपरिषद के चुनाव में भाजपा और सपा आमने सामने है। भाजपा से पद्मसेन चौधरी और मानवेन्द्र सिंह मैदान में हैं. तो वहीं, सपा ने रामजतन राजभर और रामकरन निर्मल को मैदान में उतारा है। विधान परिषद की ये दोनों सीटें इस साल 15 फरवरी को भाजपा के एमएलसी लक्ष्मण प्रसाद आचार्य के इस्तीफा देने और बनवारी लाल दोहरे की मौत के बाद रिक्त हुईं थी। लक्ष्मण प्रसाद आचार्य का कार्यकाल 30 जनवरी 2027 तक था, वहीं बनवारी लाल दोहरे का कार्यकाल छह जुलाई 2028 तक था।
माना जा रहा हे कि दोनों ही सीटों के उपचुनाव में भाजपा की जीत तय है। विधान सभा के 403 विधायकों में से 255 विधायक अकेले भाजपा के हैं जबकि भाजपा गठबंधन की 274 सीटें हैं। एमएलसी उपचुनाव में जीत के लिए 202 विधायकों के मतों की ही जरूरत है। ऐसे में दोनों ही सीटों पर भाजपा की जीत तय है। चुनाव में सपा ने एक ओबीसी और एक दलित उम्मीदवार उतारा है। साथ ही बीजेपी विधायकों से अपील की है कि दलगत राजनीति से ऊपर उठते हुए सपा प्रत्याशियों को वोट दें।
दरअसल, सपा की कोशिश बीजेपी को ओबीसी और दलित विरोधी बताने की है। हार के बावजूद समाजवादी पार्टी यह बताएगी कि भारतीय जनता पार्टी पिछड़े, दलितों और गरीबों के खिलाफ है। साथ ही सामाजिक न्याय की लड़ाई में उनको साथ लेकर नहीं चलना चाहती।
सपा की हार तय है पर अंदर खाने की खबर है सपा से क्रॉस वोटिंग हो सकती है,और बीजपी का वोट बर्बाद ना हो इसलिए NDA विधायकों को बाकायदा ट्रेनिंग दे रही है, कि जीत की संख्या, मूल संख्या से ज्यादा ही होगा। इस चुनाव में सपा का नुकसान सपा होने की बात कही जा रही है।